पंजाब में पिछले साल विधानसभा चुनावों के दौरान ड्रग्स (नशीला पदार्थ) अहम चुनावी मुद्दा था। कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद महज चार सप्ताह के अंदर ड्रग्स समस्या को राज्य से पूरी तरह खत्म करने का वादा किया था। पार्टी ने नशीले पदार्थों के अवैध कारोबार को भी समाप्त करने की बात कही थी। कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह का मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए एक साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन राज्य में नशीले पदार्थ का कारोबार बदस्तूर जारी है। युवा पीढ़ी इसकी चपेट में आकर पहले की तरह ही मौत के मुंह में जा रहे हैं। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने ऐसे 16 परिवारों से बात की जिसने पिछले एक साल में नशीले पदार्थों के चलते अपने किसी प्यारे परिजन को खो चुके हैं। इन परिवार के सदस्यों का कहना है कि पंजाब के गांवों एवं शहरों में पहले की तरह ही ड्रग्स आसानी से उपलब्ध हैं। राज्य में नशे की चपेट में आने से बचाने की माकूल व्यवस्था नहीं होने के कारण ड्रग्स के लती लोगों के लिए उम्मीद की कोई किरण नहीं है। पंजाब में पहले की तरह ही टीका (इंजेक्शन के जरिये नशीला पदार्थ लेना) और चिट्टा (हेरोइन) आज भी आमलोगों को आतंकित कर रहा है। उनका मन हमेशा इस बात से अशांत रहता है कि इसकी चपेट में आकर कहीं उन्हें अपने प्रियजन से हमेशा के लिए बिछड़ना न पड़ जाए।
कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद ड्रग्स की चपेट में आकर जान गंवाने वालों में मोगा जिले के धरमकोट के दौलेवाला गांव का 35 वर्षीय युवक निशान सिंह का नाम भी शामिल है। निशान की बहन स्वरन कौर बताती हैं कि उनका भाई इंजेक्शन से नसों में ड्रग्स लेता था। 10 अक्टूबर , 2017 को वह घर के बरामदे पर अचानक से गिर गया था। आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने निशान को मृत घोषित कर दिया था। स्वरन ने बताया, ‘एक ही नीडल का बार-बार इस्तेमाल करने से वह (निशान) संक्रमित हो गया था। उसके दोनों पैर बुरी तरह खराब हो चुके थे। उसका पूरा शरीर संक्रमित हो चुका था। डॉक्टर भी जवाब दे चुके थे। इसके बावजूद वह अपनी अंतिम सांस तक बांह और शरीर के अन्य हिस्सों में इंजेक्शन लेता रहा था।’ निशान की बहन ने आगे कहा, ‘निशान के आखिरी शब्द थे- मैं खाने के बिना तो रह सकता हूं, ड्रग्स के बिना नहीं।’ निशान की पत्नी मजदूरी करती हैं। उसके तीन बेटे हैं जो स्कूल नहीं जाते हैं।