कर्नाटक पुलिस की एक शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। पुलिस सड़क दुर्घटना में मारे गए एक पत्रकार के शव को एंबुलेंस के बजाय कूड़ा ढोने वाली गाड़ी से अस्पताल ले गई थी। इस बाबत पूछे जाने पर पुलिसकर्मियों ने बताया कि कोई और वाहन उपलब्ध नहीं था। एक निजी टीवी चैनल में काम करने वाले मौनेश की रविवार (14 जनवरी) को एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। वह बाइक से सिरसी से हावेरी स्थित अपने ऑफिस जा रहे थे। अचानक से संतुलन खोने के कारण बाइक एक पेड़ से जा टकराई थी। पुलिस का दावा है कि मौनेश की घटनास्थनल पर ही मौत हो गई थी। एंबुलेंस मुहैया कराने के बजाय स्थानीय पुलिस उनके शव को कूड़ा ढोने वाले ट्रैक्टर से सरकारी अस्पताल ले गई थी। नगर निगम इस ट्रैक्टर का इस्तेमाल करती है।
Hubli: Police carried body of a journalist in a garbage truck due to unavailability of vehicles; he died in a road accident yesterday #Karnataka pic.twitter.com/6xy6pE4sJB
— ANI (@ANI) January 15, 2018
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हावेरी के पुलिस अधीक्षक के. प्रकाशम ने पुलिसकर्मियों का बचाव करते हुए कहा कि कोई और वाहन उपलब्ध नहीं होने के कारण यह कदम उठाना पड़ा था। उन्होंने कहा, ‘पुलिस विभाग के पास शवों को ले जाने के लिए कोई वाहन नहीं है। एंबुलेंस से शवों को नहीं ले जाया जाता है, जब तक कि शव का पोस्टमार्टम न हुआ हो। ऐसे में पुलिस को ही वाहन का इंतजाम करना था। संक्रांति (14 जनवरी) के कारण किसी और गाड़ी की व्यवस्था नहीं हो सकी। तब जाकर पुलिसकर्मियों ने नगर निगम से संपर्क साध कर ट्रैक्टर भेजने को कहा था।’ हालांकि, वह इसके लिए पुलिस जीप का इस्तेमाल न करने के वजहों का जवाब नहीं दे सके। मौनेश के बड़े भाई महादेव ने एक और आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि उनके के भाई शव को न केवल कूड़ा ढोने वाली गाड़ी से ले जाया गया था, बल्कि 700 रुपये की घूस नहीं देने के कारण पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया में भी देरी की गई थी। उन्होंने बताया कि वह नहीं बता सकते कि इस घटना से उनका परिवार कितना आहत है। महादेव ने कहा, ‘भाई के निधन से पूरा परिवार दुखी है। लेकिन, सरकारी विभागों और अस्पताल प्रबंधन के अमानवीय रवैये से हमलोग और ज्यादा आहत हुए।’