असम में बाढ़ की पहले की अपेक्षा कुछ सुधरी है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के अनुसार, 27 जिलों में बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या अब घटकर 25.10 लाख रह गई है, जबकि शुक्रवार तक 28 जिलों में यह आंकड़ा 33.03 लाख था। लेकिन हालात अभी भी भयावह बने हुए हैं। स्थिति इतनी विकट है कि पीने का पानी पेट्रोल से महंगा मिल रहा है।

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट कहती है कि बीजूदास नाम के शख्स ने 110 रुपये की दर से दो बोतल पीने का पानी खरीदा। उसका कहना है कि बाढ़ का पानी घरों में घुसा हुआ है। शुक्रवार को वो कमर तक के पानी में 1 किमी चलकर पीने का पानी खरीदने के लिए गया। 20 रुपये की पानी की बोतल 100 रुपये में तो कहीं पर 150 रुपये में मिल रही थी। उसके पास कोई और चारा नहीं था तो उसने 110 रुपये प्रति बोतल की दर से पानी खरीदा। वो सिल्चर की सोनोई रोड का निवासी है। सिल्चर में हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि श्मशान भी जलमग्न हैं। लोग परिजनों की शवों को घर में रखने पर मजबूर हैं या फिर नाव के जरिये जमीन की तलाश कर रहे हैं जहां पर उन्हें जमीन के नीचे दफन किया जा सके।

प्रशासन के मुताबिक बाढ़ से चार और लोगों की मौत हो गई। राज्य में 25.10 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। जबकि कछार जिले का सिल्चर शहर छठे दिन भी जलमग्न रहा। मृतकों में बारपेटा, कछार, दर्रांग और गोलाघाट जिलों के लोग शामिल हैं। इसके साथ ही असम में इस साल बाढ़ तथा भूस्खलन में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 122 पर पहुंच गई है।

बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत सामग्री उपलब्ध कराने के साथ-साथ बाढ़ की स्थिति पर नजर रखने के लिए सिल्चर में दो ड्रोन भी तैनात किए गए हैं। सिल्चर में लगभग तीन लाख लोग भोजन, स्वच्छ पेयजल और दवाओं की भारी कमी से जूझ रहे हैं।

अधिकारियों ने कहा कि कुछ जिलों में नदियों का जल स्तर कुछ हद तक कम हुआ है। लेकिन धुबरी में ब्रह्मपुत्र और नगांव में कोपिली नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बेटकुंडी में बांध टूटने के कारण पिछले छह दिनों से जलमग्न सिल्चर शहर में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के प्रयास चल रहे हैं और प्रशासन बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाने को प्राथमिकता देने के साथ सिल्चर में बचाव अभियान चला रहा है। वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद से भोजन के पैकेट, पीने के पानी की बोतलें और अन्य जरूरी चीजें शहर में वितरित की जा रही हैं। यह कार्य तब तक जारी रहेगा जब तक कि स्थिति में सुधार नहीं हो जाता।