रिसर्च स्कालर की मौत के मुद्दे को लेकर पिछले चार दिन से जारी विरोध प्रदर्शन के समाप्त होने के बाद आइआइटी कानपुर में गुरुवार से सभी कक्षाएं सामान्य रूप से चलनी शुरू हो गई। इससे पहले आइआइटी प्रशासन ने छात्रों की मांग को मानते हुए संस्थान के हेल्थ सेंटर के डाक्टर को फैक्ट फाइडिंग कमेटी की रिपोर्ट आने तक निलंबित कर दिया और मृतक छात्र के परिजनों को आठ लाख रुपए मुआवजा देने की बात भी मांग ली।
मृतक छात्र के परिजनों के पचास लाख रुपए मुआवजे की मांग का पत्र आइआइटी प्रशासन ने मानव संसाधन मंत्रालय को भेज दिया है। इसके साथ ही फैक्ट फाइंडिग कमेटी में तीन डाक्टरों के साथ संस्थान के दो छात्रों को भी शामिल किया गया है। साथ ही कैंपस स्थित हेल्थ सेंटर की सुविधाओं को और अधिक अपग्रेड करने का निर्देश भी दिया गया है।
गाजीपुर के आलोक कुमार पांडे (26) आइआइटी के मैटेरियल साइंस प्रोग्राम में पीएचडी कर रहे थे। आठ अगस्त दोपहर करीब ढाई बजे उनके कंधे और सीने में दर्द हुआ जिसके बाद उन्हें अस्पताल में प्राथमिक उपचार दिया गया था। इसके बाद उनकी हालात बिगड़ने लगी तब हेल्थ सेंटर के डाक्टरों ने उसे शहर के कार्डियोलोजी सेंटर रेफर किया लेकिन शाम को उनकी मौत हो गई।
आइआइटी प्रशासन ने मीडिया को बताया था कि छात्र की मौत हार्ट अटैक से हुई थी लेकिन आइआइटी के छात्रों और पांडेय के साथ हास्टल नंबर चार में रहने वाले सहयोगियों का आरोप था कि उसे हेल्थ सेंटर में इंजेक्शन दिया गया जिसके बाद उसकी मौत हो गई। इस बात पर आइआइटी के छात्र पिछले चार दिनो से संस्थान के अंदर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और हेल्थ सेंटर के स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। मृतक छात्र आलोक पांडेय के भाई आदर्श पांडे ने कल्याणपुर में हेल्थ सेंटर के डा शैलेंद्र किशोर, हास्पिटल प्रशासन, वार्डन इंचार्ज और गाइड कमल केकर के खिलाफ आइपीसी की धारा 304 ए के तहत मुकदमा भी लिखाया था।
आइआइटी के निदेशक प्रो इंद्रनील मन्ना ने बताया कि बुधवार देर रात कैंपस में चार घंटे तक परामर्शदात्री समिति की बैठक हुई जिसमें यह फैसला लिया गया कि हेल्थ सेंटर के डाक्टर शैलेंद्र किशोर जिन पर आरोप है कि उनके गलत इंजेक्शन लगाने से छात्र पांडे की मौत हुई है, उन्हें फैक्ट फाइंडिग कमेटी की रिपोर्ट आने तक निलंबित कर दिया जाए। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में तीन डाक्टरों के अलावा संस्थान के दो छात्रों को भी शामिल किया गया है। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट आने तक डा किशोर का निलंबन जारी रहेगा। अगर रिपोर्ट में डा निगम दोषी पाए गए तो फिर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा छात्रों की मांग पर मृत छात्र के परिजनों को आठ लाख रुपए का मुआवजा भी दिया जाएगा। उनके परिजनों के पचास लाख रुपए के मुआवजे की मांग को मानव संसाधन मंत्रालय को भेज दिया गया है। इसके अलावा संस्थान के हेल्थ सेंटर की सुविधाओं को भी पहले से बेहतर बनाया जा रहा है ताकि संस्थान के छात्रों को बीमार पड़ने पर सही और समय पर इलाज मिल सकें। निदेशक मन्ना ने दावा किया कि छात्रों का आंदोलन अब पूरी तरह से खत्म हो गया है और अब संस्थान में छात्र अपनी कक्षाओं में पढ़ाई कर रहे हैं।