सरस्वती पूजा के दूसरे रोज से गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या तक यदि दंगल का मजा लेना हो तो बिहार के भागलपुर के एक गांव घोघा आइए। बगल में कहलगांव है। जहां एनटीपीसी , ऐतिहासिक विक्रमशिला , बटेश्वर स्थान और गंगा के बीच बने पहाड़ पर बने श्रद्धा का केंद्र शांति बाबा का आश्रम है। जहां केदार नाथ बाबा की तपस्या और इनके तप की वजह से लगने वाले इनके शिष्यों के जमावड़े से आपकी आस्था अंदर से जगे बगैर नहीं रह सकती। इनके हजारों शिष्य देश ही नहीं विदेश में भी फैले है। जो साल में एक दफा इनके दर्शन करने जरूर आते है। मसलन दंगल के बहाने पर्यटक -आस्था -रमणिक स्थान देखने का मौका भी मिलेगा। पहलवानी के रोमांचक नजारे को देखने हजारों की तादाद में भीड़ दर्शक बनती है।

दंगल का आयोजन सरस्वती नाट्य कला मंदिर के तत्वाधान में तीन दशक से भी ज्यादा समय से हो रहा है। जिसमें देश के विभिन्न इलाकों से दर्जनों पहलवान अपनी पहलवानी का हुनर दिखाते है। इतना ही नहीं आए पहलवानों के बीच प्रतियोगिता होती है और कुश्ती जीतने वालों की बाकयदा ग्रेडिंग कर पहला , दूसरा व तीसरा स्थान पाने वालों को पुरस्कार से नवाजा जाता है। इस साल 106 जोड़े पहलवानों ने यहां आकर अपनी किस्मत आजमाई। और अपनी पहलवानी की नुमाइश की।

गुरुवार शाम को समाप्त हुए दंगल में मेरठ के निर्दोष पहलवान को अव्वल घोषित किया गया। दूसरे स्थान पर पूर्वांचल के अरविंद पहलवान और तीसरे स्थान पर भागलपुर कोयली खुटहा के बाली पहलवान आए। पहला स्थान पाने वाले निर्दोष ने हरेक रोज सभी पहलवानों को अपने दांव से पटकनी दी। और अपना परचम लहराया। इस मौके पर कहलगांव के एसडीपीओ रामानंद कौशल , भागलपुर नगरनिगम के राजेश वर्मा , मेला प्रबंध कमिटी के अध्यक्ष ब्रह्मेन्द्र नारायण दुबे बगैरह के अलावे निर्णायक मंडल के लोग मौजूद थे। हजारों की भीड़ इन पहलवानों का हौसला बुलंद कर रही थी।