उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बिकरू गांव में सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाला पांच लाख का इनामी और कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे शुक्रवार को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। विकास पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, डकैती जैसे 60 संगीन मुकदमे दर्ज थे। विकास के एनकाउंटर पर कई लोग सवाल खड़े कर रहे हैं। इसपर एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार कमाल खान का कहना है कि अगर विकास दुबे मारा नहीं जाता तो 2022 में वह विधायक बन जाता।
कमाल ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि अगर विकास दुबे मारा नहीं जाता तो 2022 में वह विधायक बन जाता और हम लोग उसके बंगले के गेट पर उसकी बाइट लेने खड़े होते। कमाल ने ट्वीट कर लिखा ” विकास दुबे नही मरता तो शायद ये होता : (1) डर के मारे कोई उसके खिलाफ गवाही नहीं देता। (2) अपने समाज का बड़ा नेता बन जाता। (3)2022 में विधायक/मंत्री होता। (4)जो पुलिस उसे पकड़ के ला रही थी,वो उसकी सुरक्षा में होती। (5)और हमलोग उसके बंगले के गेट पर उसकी बाइट लेने खड़े होते।”
पुलिस के मुताबिक एसटीएफ की टीम गाड़ी से विकास को कानपुर ला रही थी। तभी कानपुर से करीब दो किलोमीटर पहले भौती में गाड़ी पलट गई। इसका फायदा उठाते हुए विकास ने हथियार छीकर भागने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने उसे मुठभेड़ में मार गिराया।
विकास दुबे नही मरता तो शायद ये होता :
(1)डर के मारे कोई उसके खिलाफ गवाही नहीं देता।
(2)अपने समाज का बड़ा नेता बन जाता।
(3)2022 में विधायक/मंत्री होता।
(4)जो पुलिस उसे पकड़ के ला रही थी,वो उसकी सुरक्षा में होती।
(5)और हमलोग उसके बंगले के गेट पर उसकी बाइट लेने खड़े होते।— Kamal khan (@kamalkhan_NDTV) July 10, 2020
एसटीएफ ने अपने बयान में कहा, ”अभियुक्त विकास दुबे को एसडीएफ उत्तर प्रदेश लखनऊ टीम द्वारा पुलिस उपाधीक्षक तेजबहादुर सिंह के नेतृत्व में सरकारी वाहन से लाया जा रहा था। यात्रा के दौरान जनपद कानपुर नगर के सचेण्डी थाना क्षेत्र के कन्हैया लाल अस्पताल के सामने पहुंचे थे कि अचानक गाय-भैंसों का झुण्ड भागता हुआ मार्ग पर आ गया। लंबी यात्रा से थके हुए चालक द्वारा इन जानवरों से दुर्घटना को बचाने के लिए अपने वाहन को अचानक से मोड़ने पर वाहन अनियंत्रित होकर पलट गया।”
बयान में आगे कहा गया कि अचानक हुई इस घटना से इस गाड़ी में बैठ पुलिस अधिकारियों को गंभीर चोटे आई और क्षणिक रूप से अर्थ चेतनावस्था में चले जाने के कारण विकास दुबे ने अचानक घटित हुई इस परिस्थिति का लाभ उठाते हुए निरीक्षक रमाकांत पचौरी की सरकारी पिस्टल को झटके से खींच लिया। इसके बाद विकास वाहन से निकलकर कच्चे मार्ग पर भागने लगा। दूसरे सरकारी वाहन में बैठे पुलिस उपाधीक्षक और अन्य अधिकारियों ने दुबे का पीछा किया और उसे आत्मसमर्पण करने को कहा गया। लेकिन दुबे ने पिस्टल से पुलिस पर फायर दिया जिसके बाद उसे ढेर कर दिया गया। विकास दुबे द्वारा की गई फायरिंग में एसटीएफ के मुख्य आरक्षी शिवेंद्र सिंह सेंगर और आरक्षी विमल यादव घायल हो गए, जिनका उपचार चल रहा है।