वाराणसी की सिविल कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी सर्वे को लेकर इस्लामिक स्कॉलर रिजवान अहमद ने कहा है कि अगर ज्ञानवापी मस्जिद में सनातन धर्म के चिन्ह मिले हैं तो वहां अब तक पढ़ी गईं अज़ान और नमाज गलत हैं।
श्रृंगार गौरी मंदिर की पूजा का अधिकार मांगने पर उसे बाबरी मस्जिद से जोड़ने के सवाल पर एक टीवी डिबेट के दौरान इस्लामिक स्कॉलर रिजवान अहमद ने कहा, “अगर ज्ञानवापी मस्जिद के कमरों या तहखानों में ऐसी कोई आकृति निकलती है जो इस्लामिक संस्कृति और मजहब से ताल्लुक नहीं रखती और सनातन धर्म से ताल्लुक रखती है तो इस्लामी नजरिए से वहां पर जितनी भी अजान हुई वो गलत है।” उन्होंने आगे कहा कि जितनी नमाज पढ़ी गयी वो भी गलत, यहां तक कि जितने रोजा इफ्तार भी वहां हुए वो गलत हैं। रिजवान अहमद ने इसे गुनाह बताया।
पीएम मोदी ने किया था औरंगजेब का जिक्र: रिजवान अहमद ने कहा कि जब काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का उद्घाटन हो रहा था तब पीएम मोदी ने एक बार आक्रांता बोला था और दो बार औरंगजेब का जिक्र किया था। उन्होंने आगे कहा कि उसी दिन मैंने अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो डाला था कि मोदी जी के मुंह से बात निकली है तो दूर तक जाएगी। रिजवान अहमद ने कहा कि वहां खड़े होकर पीएम मोदी औरंगजेब का नाम यूं ही नहीं लेंगे।
बाबरी मस्जिद के नीचे खुदाई में एएसआई को हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और उनसे जुड़े अवशेष पाए जाने के सवाल पर रिजवान अहमद ने कहा कि उन पर ये आरोप था कि खुदाई के दौरान बहुत सी चीजें वहां पर नीचे डाल दी गयीं। ये दोनों मामले अलग हैं, वहां भ्रम था पर यहां कोई कन्फ़्यूजन नहीं है।
कोर्ट का फैसला: ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे को लेकर वाराणसी की सिविल कोर्ट ने गुरुवार (12 मई 2022) को अपना फैसला सुनाया। तीन दिनों तक चली सुनवाई और सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों को खारिज कर दिया और कहा कि कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा नहीं हटाए जाएंगे। अदालत ने मस्जिद के संपूर्ण भाग पर सर्वे कराने का आदेश देते हुए सर्वे में बाधा पहुंचाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया।