7 अगस्त को सरकार ने नैशनल सिक्योरिटी अडवाइजर (एनएसए) अजीत डोवाल का एक वीडियो जारी किया था। इसमें वह जम्मू-कश्मीर के शोपियां में एक फुटपाथ पर कुछ लोगों के साथ खाना खाते नजर आ रहे थे। इसके जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई कि भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेटस हटाने और राज्य का बंटवारा करने के फैसले के बाद घाटी में हालात सामान्य हैं।
हालांकि, विडियो क्लिप में डोवाल के साथ बात करते दिखे एक शख्स ने अब कहा है कि उसे पता ही नहीं था कि वह एनएसए से बात कर रहा है। उस शख्स का दावा है कि उसे यही लग रहा था कि ‘जैकेट पहना शख्स’ जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह का पर्सनल असिस्टेंट है। उसके मुताबिक, वीडियो सामने आने के बाद लोगों की प्रतिक्रियाओं का सीधा असर उसके और उसके परिवार की जिंदगी पर पड़ा है।
62 साल के सामाजिक कार्यकर्ता और रिटायर फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर मंसूर अहमद मागरे ने कहा, ‘जब मैं उनसे (डोवाल) बात कर रहा था, मैंने अचानक देखा की डीजीपी साहिब और एसपी साहिब अपने हाथ पीछे बांधे सम्मान के साथ खड़े हैं। मुझे लगा कि यह शख्स पर्सनल असिस्टेंट तो नहीं हो सकता। मैंने पूछा, ‘सर, मुझे जानना है कि आप कौन हैं? उन्होंने मुझे बताया कि वह मोदीजी के नैशनल सिक्योरिटी अडवाइजर हैं।’
वीडियो में मंसूर वो लंबे से शख्स हैं जिसने वेस्टकोट पहन रखा है और जिनके बाल हिना से डाई किए हुए हैं। उन्होंने बताया, ‘जब मैं घर वापस लौटा तो मेरा बेटा सो रहा था। मैंने उसे जगाया और कहा कि मैं किसी डोवाल से मिला हूं। वह हैरान रह गया और कहा कि यह बात जल्द ही टीवी पर होगी। इस वीडियो ने मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल दी। लोग मुझे सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर जानते थे और अब वो छवि बदल गई है।’
कभी ट्रेड यूनियन नेता रहे मंसूर ने कहा, ‘अगर मझे पता होता कि मेरी मुलाकात डोवाल से होनी है तो मैं नहीं जाता, भले ही वे मुझे घसीट कर ले जाते।’ जहां तक मंसूर के परिवार का सवाल है, वो लोगों की प्रतिक्रिया से बेहद हतोत्साहित हैं। खास तौर पर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की उस टिप्पणी से, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी को भी पैसे से खरीदा जा सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता के बेटे मोहसिन मंसूर ने कहा, ‘उन्होंने (आजाद) कहा कि हमें इसके लिए पैसे मिले हैं, अब लोग भी ऐसा कहने लगे हैं। हम उनके खिलाफ मानहानि का केस करने के लिए पूरी तरह से मन बना चुके हैं।’
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शोपियां के अलियापुरा के रहने वाले मंसूर सीनियर सिटिजंस के एक फोरम के स्टेट कॉर्डिनेटर हैं और एक स्थानीय मस्जिद की कमेटी के प्रमुख भी हैं। उनके मुताबिक, वह अक्सर हिरासत में लिए गए लोगों के घरवालों की तरफ से प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिसवालों से बातचीत करते रहते हैं। वीडियो की पूरी कहानी बताते हुए मंसूर ने कहा कि वह 7 अगस्त को दोपहर की नमाज के लिए मस्जिद जाने निकले थे कि उन्होंने पुलिसवालों को देखा।
उन्होंने बताया, ‘उनके साथ सीआरपीएफ वाले भी थे। उन्होंने (पुलिसवालों) कहा कि मुझे डीजीपी से मिलना होगा। मैं उनकी बाइक पर सवार हो गया और मुझे पुलिस स्टेशन ले जाया गया। जब मैं स्टेशन पहुंचा तो पांच या छह लोग पहले से मेरा इंतजार कर रहे थे। उनमें से एक ड्राइवर था, जबकि दूसरे का बेटा हिरासत में लिया गया था।’
मंसूर ने आगे बताया, ‘हमने कुछ देर इंतजार किया लेकिन कोई नहीं आया। मुझे लगा कि उन्होंने मुझे गिरफ्तार करने के लिए बुलाया है। मैंने उनसे कहा, ‘वह कोठरी दिखाइए जिसमें मुझे आप बंद करना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। कुछ देर बाद मैं निकलने ही वाला था कि एक जिप्सी आई। उसके बाद हमें एक एंबुलेंस में सवार होने कहा गया और हमें एक बस स्टैंड ले जाया गया।’
#WATCH Jammu and Kashmir: National Security Advisor Ajit Doval interacts with locals in Shopian, has lunch with them. pic.twitter.com/zPBNW1ZX9k
— ANI (@ANI) August 7, 2019
उन्होंने कहा, ‘वहां सड़क के दोनों ओर आर्मी की गाड़ियों की कतारें खड़ी थीं। पांच से छह कैमरामैन भी वहां थे।’ मंसूर के मुताबिक, जब वे एंबुलेंस से नीचे उतरे और शोपियां के एसपी संदीप चौधरी और डीजीपी सिंह ने उनका अभिवादन किया। उन्होंने कहा, ‘वह (डीजीपी) चाहते थे कि मैं किसी से बात करूं और एक शख्स जैकेट पहने सामने आया। मुझे लगा कि वह डीजी साहिब का सेक्रेटरी है। उसने कहा, ‘देखा, आर्टिकल 370 खत्म कर दिया गया।’ मैंने जवाब दिया, ‘मैं कुछ नहीं कह सकता।’ उन्होंने कहा, ‘लोगों को फायदा होगा।’ मैंने उनसे कहा, ‘इंशाअल्लाह।’
मंसूर ने बताया कि उन लोगों की बातें 10 से 15 मिनट तक चली और इसके बाद उन्होंने (डोवाल) साथ लंच करने के लिए कहा। मंसूर बोले, ‘मैंने उन्हें कहा कि हम मेजबान हैं। इसी बीच, किसी ने मेरे हाथों में जबरन थाली दे दी। लोगों ने कहा कि मैंने बिरयानी खाई…यह चावल और एक पीस मीट था।”मंसूर के मुताबिक, जब बेटे से बात हुई तो उन्होंने हालात की गंभीरता के बारे में पता चला।
मोहसिन के मुताबिक, वीडियो टेलिकास्ट होने के बाद उनका घर से बाहर जाना मुश्किल हो चला है। उन्होंने बताया, ‘यह उस वक्त कश्मीर से आई पहली खबर थी। इसके बाद से हमारी जिंदगी बदल गई…हमारे रिश्तेदार हमें कहते हैं कि हमने उनकी बदनामी करा दी।’