स्वामी विवेकानंद का उत्तराखंड की देवभूमि से गहरा नाता रहा है। वे अपनी आध्यात्मिक यात्रा के सिलसिले में कई दफा उत्तराखंड की पावन भूमि पर आए और उन्हें यहां दिव्य शक्ति का अनुभव हुआ। वे देवभूमि के भ्रमण के दौरान हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, चंपावत और अल्मोड़ा गए। हरिद्वार के कनखल में उन्होंने साधु-संतों व गरीबों के इलाज के लिए श्री रामकृष्ण मिशन मठ एवं चिकित्सालय की स्थापना की। स्वामी विवेकानंद ने देहरादून की 1890 और 1897 में दो बार यात्रा की। पहली दफा स्वामी विवेकानंद 1890 में देहरादून अपने गुरु भाई स्वामी अखंडानंद महाराज के उपचार के लिए आए थे। वे तब देहरादून में शिव बाबड़ी मंदिर में तपस्या कर रहे स्वामी तुरियानंद महाराज से मिलने गए और वहीं मंदिर परिसर में एक कमरे में रुके। यह कमरा आज स्वामी विवेकानंद के संग्रहालय के रूप में स्थापित है। स्वामी विवेकानंद दूसरी बार नवंबर 1897 में देहरादून अपने विदेशी शिष्यों कैप्टन सेवियर और श्रीमती सेवियर के साथ आए थे। देहरादून में अपने दोनों विदेशी शिष्यों की मदद से एक अनाथालय बनाने की योजना बनाई। परंतु तब स्वामीजी का यह सपना साकार नहीं हो पाया।
स्वामी विवेकानंद का सपना किया साकार
श्री रामकृष्ण मिशन बेलूर मठ (कोलकाता) के अध्यक्ष स्वामी ब्रह्मानंद के शिष्य स्वामी करुणानंद ने स्वामी विवेकानंद के सपने को पूरा करने के लिए 1916 में देहरादून मसूरी रोड पर किशनपुर में जमीन खरीद कर सेवाश्रम खोले जाने की शुरुआत की। दो साल में ही स्वामी विवेकानंद के गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस के नाम से 1918 में विधिवत रूप से एक आध्यात्मिक केंद्र की स्थापना की। 1925 में वाराणसी में रामकृष्ण मिशन होम ने देहरादून के इस केंद्र के पास दो कॉटेज वाला एक भूखंड खरीदा था। इसमें स्वामी विवेकानंद की योजनानुसार मिशन से जुड़े मानव सेवा के कार्यों में योगदान देने वाले वृद्ध बीमार साधु-संतों के लिए आश्रम व तप स्थल बनाया गया। जो इन संतों की साधना व स्वास्थ्य लाभ का प्रमुख केंद्र बन गया। स्वामी तुरियानंद ने इसका नाम रामकृष्ण सदन कुटीर रखा। देहरादून के किशनपुर केंद्र को रामकृष्ण साधना कुटीर नाम स्वामी शुभानंद ने दिया। आज रामकृष्ण आश्रम और रामकृष्ण मिशन आश्रम अपनी स्थापना का सौंवा वर्ष मना रहा है। सेवा के इस केंद्र को सौ साल हो गए हैं, जो निरंतर मानव सेवा के कामों में लगा है। जहां यह केंद्र मिशन के साधु-संतों की तपस्थली का प्रमुख केंद्र है, वहीं गरीब, असहाय, बीमार लोगों के लिए आशा का एक बडा केंद्र है और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी केंद्र बना हुआ है। रामकृष्ण आश्रम के अध्यक्ष तथा रामकृष्ण मिशन आश्रम किशनपुर, देहरादून के सचिव स्वामी असीमात्मानंद महाराज का कहना है कि यह केंद्र आज युवा पीढ़ी के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। गरीबों-असहायों की सेवा के अलावा युवा पीढ़ी के चरित्र निर्माण व देश निर्माण के कार्य में यह केंद्र अहम भूमिका निभा रहा है।
मानव सेवा का केंद्र
यह केंद्र मोबाइल एबुलेंस के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने के लिए डॉक्टरों की टीम के जरिए दवाइयां बांटती है। इसके अलावा यह केंद्र पुस्तकालय, बुक स्टॉल, युवा केंद्र, औषधि केंद्र का संचालन करता है। सेवा के सौ साल पूरे होने पर अब इस केंद्र ने अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धति से युक्त स्वामी विवेकानंद नेत्र अस्पताल और रामकृष्ण मठ बेलूर (कोलकाता) के 13वें अध्यक्ष स्वामी रंगानाथानंद की याद में बड़ा भवन बनाया गया।
जिंदगी की राह ही बदल डाली
देहरादून के किशनपुर स्थित श्री रामकृष्ण आश्रम ने कई युवाओं को नया जीवन दिया है। इस केंद्र की आध्यात्मिक शक्ति के अनुभवों को साझा करते हुए लेखिका तथा अंग्रेजी साहित्यकार डॉ. राधिका नागरथ बताती हैं कि इस केंद्र ने उनके जीवन की दिशा-दशा ही बदल डाली। जब मुझे जीवन में जिंदगी और मृत्यु के चौराहे पर खड़ा कर दिया गया था, तब इस केंद्र ने मुझे नई जिंदगी दी और मुझ जैसे लाखों लोगों को जीवन जीने की कला सिखाई। भावुक होते हुए रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद की शिष्या डॉ. राधिका नागरथ कहती हैं कि 19 अप्रैल 1995 को मुझे एक विवाह बंधन में बांध दिया गया था। जहां दो साल तक मानसिक प्रताड़ना के चरम पर पहुंचने के बाद घर से बाहर निकाल दिया गया था। इसके बाद राजपुर रोड किशनपुर में स्थित रामकृष्ण आश्रम पहुंची तो मुझे ऐसा लगा कि मानो एक नई जिंदगी ने मेरा स्वागत किया हो। वहां मौजूद मठ के अध्यक्ष प्रभात महाराज ने मुझे एक पुस्तक दी और अपने जीवन को आध्यात्मिक शक्ति से ओत-प्रोत बनाने की प्रेरणा दी। मैंने एमए अंगे्रजी साहित्य में किया और स्वामी विवेकानंद की अंग्रेजी कविताओं पर पीएचडी की।
और कठिन दौर में रामकृष्ण परमहंस ठाकुर और स्वामी विवेकानंद के शब्दों विचारों ने मुझे प्रेरित कर जीवन में नई राह दिखाई। मैंने मां-बाप की सेवा करके यह साल बिताए। देखा जाए तो यह केंद्र कई लोगों को जीवन में नई राह दिखा रहा है।

