Fear in Gurgaon: अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की पहचान के लिए पुलिस ने गुड़गांव में वेरिफिकेशन ड्राइव चलाई हुई है। इस अभियान के तहत बंगाल से आए प्रवासी समुदाय में डर का माहौल पैदा हो गया है। पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में भी लिया है। छवि बीबी ने होल्डिंग सेंटर को देखते हुए कहा कि हम लोग बंगाली बोलते हैं तो क्या हम बांग्लादेशी बन गए। यहां पर उनके पति को तीन दिनों से रखा गया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बीबी के पति की तरह और भी कई लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। सेक्टर 40 के एक कम्युनिटी सेंटर के अंदर होल्डिंग सेंटर है। बारिश की वजह से गेट तक का रास्ता कीचड़ से भर गया है। बाउंड्री वॉल के पास कुछ पुलिसवाले खड़े हैं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘यह एक नियमित जांच है। अंदर सभी सुविधाएं मौजूद हैं। जांच पूरी होने के बाद उन्हें जाने दिया जाएगा।’

हमें तीन दिन तक नहीं बताया गया कि मेरे पति कहां हैं – छवि बीबी

छवि बीबी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘एक हफ्ते पहले दोपहर लगभग 2 बजे वे आए जब हम खाना खा रहे थे। उन्होंने उसे ढंग के कपड़े भी नहीं बदलने दिए। उन्होंने हमें तीन दिन तक यह नहीं बताया कि वह कहां है। फिर मुझे उसका फोन आया कि वह बादशाहपुर में है, फिर सोहना, फिर सुभाष चौक, फिर यहां। उसे इसलिए उठाया गया क्योंकि उसके पास दो आधार कार्ड थे, जिनमें से एक पर नया पता लिखा था क्योंकि उसे यहां के एक बैंक खाते से लिंक कराना था।’ परिवार ने बताया कि वे पश्चिम बंगाल के मालदा से हैं। बीबी घरों में खाना बनाने का काम करती है जबकि उसका पति कुत्तों को टहलाने जैसे छोटे-मोटे काम करता है।

बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर टकराव?

बीबी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनसे सवाल किया कि क्या उन्होंने बांग्लादेश में शादी की है। उन्होंने कहा, ‘हमारे घर के सरपंच ने मुझे फोन करके बताया कि उन्होंने आपके पति के बारे में वैरिफिकेशन के लिए कहा है। हमारे पास सारे डॉक्यूमेंट हैं।’ पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि अब तक आठ बांग्लादेशियों का पता चला है। इनको डिपोर्ट किया जाएगा।

गुड़गांव सेक्टर 50 में निरवाणा कंट्री और डीपीएस इंटरनेशनल के पीछे झुग्गी बस्ती में हालात और भी गंभीर है। दक्षिण दिनाजपुर जिले के रहने वाले मेहता अली ने कहा कि उनके जैसे प्रवासी मजदूर कम से कम तीन साल से यहां रह रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘पूरा डर का माहौल है। हममें से 150 लोग पहले ही घर के लिए निकल चुके हैं। मैंने अपने परिवार के लिए ट्रेन टिकट भी बुक कर लिए हैं। हम आज ही निकलेंगे। हालांकि, यहां से किसी को हिरासत में नहीं लिया गया, फिर भी।’

क्या हम यहां पिटने आए हैं – फारुख सरकार

हिरासत में लिए गए कुछ लोगों की कथित तौर पर पिटाई के वीडियो सामने से डर और भी ज्यादा बढ़ गया है। 26 साल के फारुख सरकार ने कहा, ‘क्या हम यहां पिटने आए हैं? हम यहां काम की तलाश में आए थे, अपने दस्तावेजी सबूतों के लिए लड़ने नहीं। अब हम पूरी रात जागते हैं, सतर्क रहते हैं। मेरे जीजा को नौ दिनों से हिरासत में रखा गया है।’

हमें बांग्लादेशी बता दिया जाता – ढोलू मिया

एक अन्य शख्स ढोलू मिया ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हमें पहले शनि मंदिर के पास एक कम्युनिटी सेंटर ले जाया गया, फिर एक थाने में। अगर हमारे डॉक्यूमेंट्स में एक भी टाइपिंग की गलती होती, तो हमें बांग्लादेशी बता दिया जाता। जब से हमें पता चला कि हमारे सेंटर को निशाना बनाया जा रहा है, तीन दिनों से हमारे बच्चे स्कूल नहीं गए हैं। मंसूरा खातून और टुम्पा बीबी ने कहा कि वे रात में चैन से नहीं सो पा रही हैं। वे कहती हैं, ‘जब हम पश्चिम बंगाल से हैं, तो पुलिस हमें बांग्लादेशी क्यों समझती है? हम यहां साधारण मजदूर हैं।’

पुलिस प्रवक्ता ने क्या कहा?

पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि हमें गृह मंत्रालय की तरफ से अवैध तरीके से संदिग्ध विदेशियों के वेरिफिकेशन के निर्देश मिले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी नागरिक को डरने या शहर छोड़कर अपने गृह राज्य जाने की कोई जरूरत नहीं है और ना ही घबराने की जरूरत है। उन्होंने हिरासत में लिए गए लोगों के खिलाफ कथित हिंसा के आरोपों से भी इनकार किया। उन्होंने कहा, ‘जिन होल्डिंग सेंटर्स और थानों में पूछताछ की जा रही है, वहां सीसीटीवी लगे हैं। हमें किसी भी परिवार के सदस्य या हिरासत में लिए गए लोगों से कोई शिकायत नहीं मिली है।’ पहलगाम हमले के बाद अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ ताबड़तोड़ एक्शन