बिलकीस बानों बालत्कार मामले में रिहा किए गए 11 आजीवन दोषियों में से एक गोविंद नाई ने बयान देते हुए कहा है कि हिन्दू रेप नहीं करते है। गोविंद नाई का कहना है “हम निर्दोष हैं,क्या आपने एक चाचा और भतीजे को एक-दूसरे के सामने किसी के साथ बलात्कार करते देखा है? क्या यह हिंदू समुदाय में होता है? नहीं, हिंदू ऐसा नहीं करते हैं.” 2002 के गुजरात दंगों के मामले में इन्हें भाजपा की राज्य और केंद्र सरकारों ने समय से पहले रिहा कर दिया है।

बलात्कार के दोषी जी रहे हैं सामान्य जीवन

एनडीटीवी इंडिया के अनुसार, बिलकिस बानो के दोषी जेल से रिहाई के बाद अपने गांव में सामान्य जीवन जी रहे हैं. कहते हैं कि वह “निर्दोष” हैं। एक ने तो गांव ही में दिवाली के मौके पर अपनी पटाखे की दुकान भी खोल ली है, जो बिलकिस बानो के पुराने घर के ठीक सामने है। बिलकिस बानो यहां अपने घर को छोड़ चुकी हैं और गांव से दूर डर के साए में जीवन बिता रही हैं। राधेश्याम शाह, रेप और हत्या मामले में दोषी है लेकिन 15 अगस्त को सभी दोषियों के साथ रिहा कर दिया गया, जो अब सामान्य जीवन जी रहा है।

बिलकिस के दोषी गुजरात के दाहोद जिले में रंधिकपुर गांव में रहते हैं और कुछ का घर इसी गांव के आसपास है। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक गांव में 4000 से कम की आबादी रहती है। 11 दोषियों में से एक गोविंद नाई ने कहा कि “हम निर्दोष हैं. क्या आपने एक चाचा और भतीजे को एक-दूसरे के सामने किसी के साथ बलात्कार करते देखा है? क्या यह हिंदू समुदाय में होता है? नहीं, हिंदू ऐसा नहीं करते हैं.” उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों को बीजेपी की राज्य और केंद्र सरकार ने समय से पहले रिहा कर दिया है।


रिपोर्ट में बताया गया है कि उसका एक छोटा भाई आशीष शाह घर के सामने पटाखे की दुकान चला रहा है, उसने दावा किया कि “राधेश्याम अब यहां नहीं रहते.” राधेश्याम और आशीष के अलावा अन्य दोषी है, जिसने अपने पैरोल के दौरान एक महिला के साथ मारपीट की थी और रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में उसके खिलाफ मामले भी दर्ज हैं। हालांकि आशीष शाह ने कहा कि मामले “निराधार” हैं। मारपीट मामले में शिकायत करने वाले सबराबेन अय्यूब और पिंटू भाई, हिंदू बहुल गांव के मुस्लिम निवासी हैं, जो अब भी अपने आरोपों पर कायम हैं और कहते हैं कि वह डर में जी रहे हैं।


जब गुजरात के सिंहवाड़ा में दोषियों की रिहाई पर मना था जश्न

15 अगस्त, 2022 को गोधरा जेल में सज़ा काट रहे इन 11 क़ैदियों को गुजरात सरकार की सज़ा माफ़ी की नीति के तहत रिहा कर दिया गया है। इसके बाद जब ये लोग अपने गांव सिंहवाड़ा पहुंचे तो वहां स्थानीय लोगों ने मिठाई बांटकर इनका स्वागत किया। कई लोगों ने अपने घरों पर ऊंची आवाज़ में संगीत बजाकर डांस करते हुए जश्न मनाया। वहीं, कुछ लोग इस मौके पर अपने चेहरों पर हल्दी का टीका लगाए हुए दिखे। रिहा किए गए 11 लोग बीते 15 सालों से जेल में थे और इनमें से कुछ लोग बीते 18 सालों से जेल में थे।