हिमाचल प्रदेश के परवाणू में मौजूद रोपवे (Timber Trail) में दिक्कत आने की वजह से फंसे सभी 11 यात्रियों को बचा लिया गया है। करीब साढ़े तीन घंटे रोपवे में फंसे होने के बाद इन्हें बचाया जा सका है। कुछ तकनीकी खराबी के कारण टिंबर ट्रेल बीच में ही रुक गई थी और ये 11 यात्री हवा में ही लटक गए। इन्हें बचाने के लिए दूसरी केबल कार ट्रोली भेजी गई थी, जिसके जरिए धीरे-धीरे यात्रियों को उतारा जा सका।
5 परिवारों के 10 यात्री फंसे
पुलिस प्रशासन ने यात्रियों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया था। बताया जा रहा है कि ये यात्री दिल्ली से हैं। बचाए गए यात्रियों में 5 परिवारों के 10 लोग और एक कोलकाता का शख्स शामिल है। सोलन के एसपी वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि यह घटना दोपहर करीब डेढ़ बजे की है। इस दौरान, परवाणू के टीटीआर में कुछ टेक्नीकल दिक्कत की वजह से केबल कार बीच में अटक गई। केबल कार में फंसे यात्रियों को कहना है कि वो रिजॉर्ट जा रहे थे।
30 साल पहले भी हो चुका है ऐसा हादसा
ऐसी घटना 30 साल पहले 13 अक्टूबर, 1992 में भी हो चुकी है, जब डॉकिंग स्टेशन के पास हॉलेज केबल टूटने के कारण 11 यात्री इसी तरह हवा में लटक गए थे। इस दौरान शुरुआत में डर के कारण ऑपरेटर केबल कार से नीचे कूद गया, लेकिन चट्टान से टकराने की वजह से उसकी मौत हो गई थी। यह रेस्क्यू ऑपरेशन तीन दिन चला, जिसे उत्तर प्रदेश के सरसावा में स्थित 152-हेलीकॉप्टर यूनिट, हिमाचल प्रदेश की 1 पैरा कमांडो यूनिट और चंडीमंदिर की एक इंजीनियर यूनिट ने अंजाम दिया था। इस ऑपरेशन को तत्कालीन ग्रुप कैप्टन फली एच मेजर ने लीड किया था, जो IAF प्रमुख भी रहे।
एक पैरा कमांडो मेजर इवान जोसेफ क्रैस्टो ने हेलीकॉप्टर की चरखी के जरिए यात्रियों को कार के ऊपर उतारा। उसने कार के ऊपर से एस्केप हैच खोला और एक-एक करके यात्रियों को ऊपर उठाया। तीन दिन के इस ऑपरेशन में 14 अक्टूबर को सिर्फ चार यात्रियों को बचाया जा सका था, बाकी यात्रियों को अगले दिन नीचे उतारा गया। अभियान के दौरान एक पूरी रात क्रैस्टो कार में ही रहे थे। क्रैस्टो को इस वीरतापूर्ण पराक्रम के लिए कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया गया। वहीं, फली मेजर को शौर्य चक्र और उनके सह-पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट पी उपाध्याय को वायु सेना पदक मिला था।
इस साल अप्रैल में झारखंड के देवघर जिले में तकनीकी खराबी के कारण 40 घंटे से अधिक समय तक केबल कारों में पर्यटकों के फंसने की वजह से तीन लोगों की मौत हो गई थी। लोकप्रिय पर्यटन स्थल त्रिकूट हिल्स तक जाने वाले 770 मीटर लंबे रोपवे में खराबी के बाद कुल मिलाकर 50 लोगों को केबल कारों से बचाया गया था।