Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर चल रहे चुनाव प्रचार में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी का नाम खूब गूंज रहा है। इनके नाम पर राज्य में बने सरकारी अस्पतालों का जिक्र करके पार्टियां मतदाताओं को रिझाने में लगी हैं। हालांकि, इन अस्पतालों की जो दशा है उससे हिमाचल की जनता बेहद परेशान है। अस्पतालों में पूरा स्टाफ नहीं है और ना ही जरूरी सुविधाएं हैं। इतना ही नहीं छोटे-छोटे मामलों को भी दूसरे शहरों में रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में प्रसव के दौरान लोगों के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है।

चंबा में बना पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, अटल मेडिकल एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (एएमआरयू), एचपी से संबद्ध है। पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल अखंड चंडी पैलेस में है, जहां छह साल से मेडिकल कॉलेज की कक्षाएं चलाई जा रही हैं।

पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की स्थापना 2016 में हिमाचल प्रदेश में तत्कालीन वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान हुई थी। एक क्षेत्रीय सिविल अस्पताल को अपग्रेड करके यह अस्पताल बनाया गया था। इसकी शुरुआत पहले बैच में सौ छात्रों के प्रवेश से हुई थी। शुरू में यह मेडिकल कॉलेज हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से संबद्ध था। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को बाद में तत्कालीन जयराम ठाकुर सरकार में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर एक नए चिकित्सा विश्वविद्यालय, AMRU में स्थानांतरित कर दिया गया था।

कांग्रेस और बीजेपी मेडिकल कॉलेज को लेकर चुनाव के दौरान मतदाताओं से बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं, लेकिन मतदाता इस बात को लेकर मुखर हैं कि “यह बस नाम का मेडिकल कॉलेज” है। कई जिंदगियां दांव पर लगा दी। चंबा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के अनुसार, उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। मतदाताओं का कहना है कि जहां मौजूदा राजा श्याम सिंह क्षेत्रीय अस्पताल विशेष डॉक्टरों के बिना चलता है, मशीनों को संचालित करने के लिए कोई कर्मचारी नहीं है, और मरीजों को मामूली बिमारियों के लिए भी टांडा (160 किमी दूर) के लिए रेफर कर दिया जाता है, तो नया मेडिकल कॉलेज केवल “नाम का मेडिकल कॉलेज” है।

मतदाताओं का कहना है कि यहां स्थिति ऐसी है कि मरीजों को अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन कराने के लिए एक महीने से अधिक का समय दिया जाता है क्योंकि पुराने अस्पताल में मशीनों को चलाने के लिए कोई कर्मचारी नहीं है। एक महिला ने बताया, “अगर किसी महिला को प्रसव पीड़ा होती है तो यह एक बुरा सपना बन जाता है। एक सामान्य प्रसव के लिए भी वे मरीजों को टांडा रेफर करते हैं।”