Assam News: असम के गोवालपारा जिला प्रशासन ने मंगलवार (25 अक्टूबर) को एक मियां म्यूजियम को सील कर दिया, जिस पर भूमि और संपत्ति कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप है। मियां म्यूजियम के बारे में बोलते हुए असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “मुझे समझ में नहीं आता कि यह किस तरह का मियां म्यूजियम है। मियां म्यूजियम में उन्होंने जो हल रखा है, उसका इस्तेमाल असमिया लोग करते हैं। यहां तक ​​कि मछली पकड़ने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं भी असमिया समुदाय से हैं। इसमें नया क्या है?

हेमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि वहां रखी गई हर चीज केवल लुंगी को छोड़कर असमिया लोगों की है। उन्हें यह साबित करना होगा कि नंगोल (हल) का इस्तेमाल केवल मियां लोग करते हैं और लोग नहीं करते है। नहीं तो मामला दर्ज किया जाएगा। असम के सीएम हेमंता बिस्व सरमा ने कहा, “मियां म्यूजियम में केवल पारंपरिक वस्तुएं हैं जो पूरे असमिया समाज की संस्कृति को दर्शाती हैं न कि मियां समुदाय की।”

मियां या नो-असमिया शब्द को जानिए

दरअसल, मियां या नो-असमिया (नव-असमिया) एक शब्द है जिसका इस्तेमाल अक्सर बांग्लादेश से प्रवासी मुसलमानों के लिए किया जाता है। उनके पूर्वज ब्रिटिश शासन के दौरान वर्तमान बांग्लादेश में मयमनसिंह, रंगपुर और राजशाही डिवीजनों जैसे क्षेत्रों से चले गए और असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में बस गए। आपको बता दें कि असम में सीएए और एनआरसी को लेकर भी काफी घमासान मचा था।

दपकरभिता गांव में खोला गया था मिया म्यूजियम

समाचार एजेंसी एएनआई ने गोवालपारा सर्कल ऑफिसर आर गोगोई के हवाले से कहा, “गोवालपारा के डिप्टी कमिश्नर के निर्देश के अनुसार, हमने पीएमएवाई-जी के तहत बने घर को सील कर दिया है, जिसके अंदर मियां म्यूजियम खोला गया था।” बता दें कि मियां म्यूजियम का उद्घाटन 23 अक्टूबर को दपकरभिता गांव में किया गया था। इसके पहले हेमंत बिस्वा सरमा ने मदरसा को लेकर बयान दिया था जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा था, ‘जिन लोगों के दिमाग में मदरसा रहेगा तो बच्चा कभी डॉक्टर और इंजीनियर नहीं बन पाएगा।’