आगरा के ताजमहल में बंद 22 कमरों को खुलवाने से जुड़ी दायर याचिका पर मंगलवार (10 मई 2022) को वकीलों की हड़ताल के चलते सुनवाई नहीं हो सकी। याचिकाकर्ता डॉक्‍टर रजनीश सिंह ने इस संबंध में पिटीशन फाइल की। उनकी मांग है कि इन कमरों को खुलवाकर ताज महल का सच सामने लाया जाना चाहिए। ताज महल और तेजो महालय को लेकर छिड़ी इस जंग के बीच इतिहासकार रवि भट्ट ने कई तथ्‍यों को सामना रखा। आइए, आपको एक-एक कर के बताते हैं कि उन्‍होंने क्‍या कहा:

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ताज महल में 22 रहस्यमयी बंद कमरों को लेकर इतिहासकार और प्रोफेसर रवि भट्ट ने कहा, “इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वहां मूर्तियां रही होंगी, क्योंकि शाहजहां ने ये जमीन…जिस पर ताजमहल बना है, उसे राजा जय सिंह से खरीदा था और वह हिंदू राजा थे।”

उन्होंने आगे कहा कि अगर आप ऐतिहासिक तथ्यों पर बात करें, तो आप ये पाएंगे कि शाहजहां ने खुद ये जमीन खरीदी थी, जिस पर ताजमहल 17 एकड़ में बना है। वह जमीन उसने राजा जयसिंह से खरीदी थी और वहां पर राजा जय सिंह की हवेली थी। अब राजा जय सिंह की जब हवेली है तो ये अनुमान का विषय है कि कोई छोटी हवेली तो होगी नहीं। बहुत बड़ी हवेली होगी और वह हिंदू थे तो वहां पर पूजा स्थल भी होगा और राजा की हवेली में कोई छोटा पूजा स्थल तो होगा नहीं, बड़ा पूजा स्थल होगा, तो उसके अंदर मूर्तियां होना भी स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि ये अनुमान का विषय है।

‘1632 से 1653 तक हुआ ताज महल का निर्माण’: उन्होंने आगे बताया कि ताज महल का निर्माण 1632 से 1653 तक हुआ। ऐसे में ऐसा तो नहीं कि वहां सभी मुस्लिम कर्मचारी रहे होंगे। जब कुतुब मीनार बना तो वहां भी काफी हिंदू कर्मचारी रहे होंगे तो ताज महल के निर्माण में भी हिंदू कर्मी रहे होंगे। यह संभावना हो सकती है कि वहां काम करने वाले कारीगरों ने उन मूर्तियों को किसी एक जगह पर रखकर बंद कर दिया हो, जिससे कोई कंट्रोवर्सी न हो। इस बात की भी संभावना भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि अगर कोई संभावना है तो उसको रूल ऑफ कर देना चाहिए। हमेशा के लिए बात खत्म हो।

एक सवाल के जवाब में इतिहासकार ने कहा कि वहां सिक्योरिटी रिजन (सुरक्षा कारण) क्या हो सकता है। देश में इतनी बड़ा विवाद शुरू हो रहा है, जिसको एक डेलीगेट जाकर नहीं देख सकता है।

‘ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर विवाद को खारिज नहीं किया जा सकता’: उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक तथ्य है कि राजा जय सिंह की कोठी थी, जिसको शाहजहां ने खरीदा था। संभावना इस बात की हो सकती है कि वहां कोई पूजा स्थल हो। इसमें अगर सरकार और न्यायालय चाहे तो एक बार वहां अंदर जाकर देखना चाहिए। किसी भी पक्ष को इसमें दिक्कत नहीं होनी चाहिए। ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर इस विवाद को खारिज नहीं किया जा सकता।

‘बनारस के मंदिर को एक बार नहीं कई बार तोड़ा गया’: ज्ञानवापी को लेकर उन्होंने बताया कि हिंदू में यह खास बात है कि किसी भी मंदिर की प्राचीनता का पता करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि हिंदू धर्म में कहीं भी दो पत्थर रख दें और पूजा करना शुरू कर दें। धीरे-धीरे मंदिर भी बनने लगता है। उन्होंने आगे कहा कि बनारस पुराना शहर है। वहां प्राचीन मंदिर कई बार तोड़े गए। कुतुबुद्दीन ऐबक ने ही तोड़ा।

इतिहासकार ने कहा- मंदिरों को तोड़ने का प्रमुख कारण यह होता था कि मंदिरों की संपत्ति बहुत होती थी। राजा बहुत धार्मिक नहीं होता है। अगर वह बहुत धार्मिक हो तो वह किसी देश पर आक्रमण ही न करे। अपना राज्य कभी बढ़ाए ही न। सभी धर्म में लिखा है कि किसी को कष्ट नहीं देना चाहिए, लेकिन वह धर्म का पाखंड करता है। ऐसा आदिकाल से होता आ रहा है। यह चीज ब्रिटिशकाल में भी होती रही है। दुनिया में जब कहीं से आपको मदद नहीं मिलती, तब आपकी ईश्वर के प्रति आस्था बढ़ती है।