जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर के निदेशक एवं डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक प्रो. शतेंद्र शर्मा ने कहा कि आधुनिक विज्ञान धीरे-धीरे वैदिक ज्ञान की ओर बढ़ रहा है और अब वो दिन दूर नहीं जब वैदिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच की सीमा-रेखा समाप्त हो जाएगी। गुड़गांव के के. आर. मंगलम यूनिवर्सिटी में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे और आखिरी दिन शुक्रवार को उन्होंने कहा कि दुनियाभर के लोग अब यह कबूल करने लगे हैं कि भारत में पूरे विश्व को राह दिखाने की शक्ति है।

उन्होंने विदेश में हुए एक शोध का जिक्र करते हुए कहा, ‘स्पीकर के ऊपर एक साफ कागज पर रेत रखने के बाद जब ऊं की ध्वनि बजाई जाती है तो श्री यंत्र जैसी रूपरेखा उभरकर आती है। वैज्ञानिकों को इस पर और अधिक शोध करने की आवश्यकता है। यहां तक कि सूर्य से निकलने वाली ध्वनि भी ऊँ की ही है जिसका पता हाल ही में नासा के वैज्ञानिकों को चला।’

समापन समारोह में मास्को स्टेट यूनीवर्सिटी के प्रो. सर्गेई एरिमिन ने भारतीय वैज्ञानिकों के शोध की सराहना की और कहा, ‘दुनिया हमेशा से भारतीय ज्ञान को गंभीरता से लेती रही है और आज के दौर में भारत में इतनी क्षमता है कि वह दुनिया को नई राह दिखा सके।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘सरकार को उच्च शिक्षा और शोध पर ज्यादा खर्च करना चाहिए, तभी भारत भविष्य में दुनिया की अगुवाई कर पाएगा।’ उन्होंने प्रो. शतेंद्र शर्मा की प्रशंसा की और कहा, ‘भारत और रूस विज्ञान के क्षेत्र में मिलकर प्रगति करना चाहते हैं। ऐसे में इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन विज्ञान को एक नया आयाम देगा।’

सम्मेलन के आयोजक डॉ. दिलराज एवं डॉ. ज्योत्सना ने सम्मेलन में आए सभी वैज्ञानिकों के प्रति आभार प्रकट किया और कहा कि ‘इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य दुनिया में विज्ञान के क्षेत्र में हो रही प्रगति पर चर्चा करना है। आज विज्ञान के क्षेत्र में जिस तेजी से प्रगति हो रही है इस तरह की प्रगति पिछले हजारों साल के इतिहास में नहीं देखी गई। इस तरह के आयोजन समय-समय पर होते रहने चाहिए।’ सम्मेलन के समापन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.के. मित्तल ने कहा, ‘इस सम्मेलन की सफलता हमारे लिए हर्ष का विषय है और हम भविष्य में ज्ञान, विज्ञान व कला के क्षेत्र में और अधिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन करेंगे ताकि समाज के सभी वर्गों का स्तर बढ़े और देश की चहुंमुखी प्रगति में हम योगदान दे सकें।’

मिडिल इस्ट कॉलेज, ओमान के डॉ. प्रकाश कुमार ने ई-लर्निंग पर जोर दिया। जे.एन.यू. की डॉ. प्रतिमा ने नैनो साइंस और नैनो टेक्नोलॉजी पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। देश-विदेश से आए 200 से अधिक शोधार्थियों, वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और प्रोफेसरों ने अपने शोध-पत्र दुनिया के सामने प्रस्तुत किए।