बीजेपी शासित दूसरे राज्यों के नक्शेकदम पर चलते हुए हरियाणा की मनोहर लाल सरकार ने असेंबली से धर्मांतरण विरोधी विधेयक पारित करा लिया है। मंगलवार को विधेयक पेश करने से पहले कांग्रेस ने विरोध जताया। सरकार ने उनकी नहीं सुनी तो सभी विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया।

असेंबली में धर्मांतरण विरोधी विधेयक पेश होने से पहले कांग्रेस के विधायकों ने जमकर हंगामा मचाया। कांग्रेस के सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विधेयक को रद्द करने की मांग की। लेकिन सरकार ने दो टूक कह दिया कि वो ऐसा नहीं करने जा रही। उसके बाद नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में सभी विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।

विधानसभा में चार मार्च को पेश किया गया यह विधेयक मंगलवार को चर्चा के लिए लाया गया। हरियाणा गैर-कानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 के मुताबिक, अगर लालच, बल या धोखाधड़ी के जरिए धर्म परिर्वतन किया जाता है तो एक से पांच साल की सजा और कम से कम एक लाख रुपये के जुर्माना का प्रावधान है। विधेयक के मुताबिक जो भी एक नाबालिग या महिला या फिर अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करता है या इसका प्रयास करता है तो उसे कम से कम चार साल जेल का सजा मिलेगी, जिसे बढ़ाकर 10 साल और कम से कम तीन लाख रुपये का जुर्माना किया जा सकता है।

नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मौजूदा कानूनों में ही जबरन धर्मांतरण कराए जाने पर सजा का प्रावधान है, ऐसे में एक नया कानून लाए जाने की कोई जरूरत नहीं थी। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी ने कहा कि मुझे लगता है कि यह हरियाणा के इतिहास में एक काला अध्याय होगा। जबरन धर्मांतरण पर सजा के प्रावधान वाला कानून पहले ही मौजूद है।

कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे अन्य राज्यों ने भी धर्म परिवर्तन को प्रतिबंधित करने वाले कानून पारित किए हैं। ओडिशा में यह कानून सबसे पहले लाया गया था। ओडिशा में 1967 में यह कानून लागू किया गया था।