डेंगू पीड़िता के परिजनों को इलाज का भारी-भरकम बिल थमाने के बाद सुर्खियों में आए गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल की मुश्किलें अब बढ़ती जा रही हैं। अब इस अस्पताल के ब्लड बैंक और आइपीडी फार्मेसी के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं। हरियाणा के खाद्य व औषधि प्रशासन विभाग की तरफ से इस बाबत आदेश जारी हो गए हैं। विभाग ने यह कार्रवाई अस्पताल की तरफ से कारण बताओ नोटिस पर मिले जवाब का अध्ययन करने के बाद की है। हरियाणा के स्टेट ड्रग कंट्रोलर नरेंदर आहूजा विवेक ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि यह निलंबन तब तक जारी रहेगा जब तक की फोर्टिस अस्पताल जांच के दौरान पाई गई खामियों को दूर नहीं कर लेता और उन खामियों को दूर करने की पुष्टि विभाग द्वारा नहीं कर दी जाती है।
आहूजा के मुताबिक, ब्लड बैंक में कुल मिलाकर के 32 कमियां पाई गई हैं। इनमें मुख्य रूप से यह है कि बाकी अस्पताल ने हरियाणा सरकार को एक ‘अंडरटेकिंग’ दी थी कि वह नाको द्वारा तयशुदा रेट के मुताबिक ही ‘होल ह्यूमन ब्लड’ और ‘ब्लड कंपोनेंट्स’ के दाम अपने मरीजों से लेगा लेकिन इस मामले में जांच करने पाया गया कि अस्पताल मरीजों से कहीं ज्यादा दाम वसूल रहा था। इसके अलावा अस्पताल के ब्लड बैंक में जांच शुल्क की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई थी।ब्लड बैंक के मुख्य दरवाजे पर कोई पर्दा नहीं था। उसमें कोई ‘इंसेक्टोक्यूटर’ भी नहीं था। जांच के दौरान सभी दरवाजे खुले पाए गए। एक और बड़ी खामी यह सामने आई कि एचआइवी टेस्टिंग रूम जिसे टीटीडी लैब कहते हैं, वो दरवाजा सिरोलजी लैब से होकर गुजरता था और यह भी जांच के समय खुला पाया गया। इससे बड़ा गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। एक अन्य खामी फ्रैश फ्रोजन प्लाजमा जो नहीं बेचे जाने चाहिए, अस्पताल उसे रिलायंस प्राइवेट लिमिटेड को फ्रैकशजनाइजेशन के लिए बिना किसी पूर्व अनुमति के बेच रहा था। आहूजा ने कहा कि हरियाणा सरकार अपने गरीब मरीजों के लिए अत्यंत संवेदनशील है और किसी भी हालत में इन पांच सितारा अस्पतालों की संस्कृति को जन्म नहीं लेने देना चाहती। सरकार चाहती है कि हरियाणा में खुले बड़े अस्पताल तय मानकों का कड़ाई से पालन करें।