हरियाणा के सोनीपत के एक गांव में लड़कियों के जींस पहनने और मोबाइल रखने पर पंचायत ने पिछले एक साल से बैन लगा रखा है। यह मामला ईशापुर खेड़ी गांव का है। इस मामले को लेकर गांव के सरपंच प्रेम सिंह का कहना है, “हमारे गांव में लड़कियों के जींस पहनने और मोबाइल रखने पर पाबंदी है, ताकि वे इसका गलत फायदा न उठा सकें।” वहीं, गांव की पंचायत का यह फैसला वहां की लड़कियों को पंसद नहीं है और उनका कहना है कि यह बहुत गलत है। आदमी की मानसिकता में खराबी है न कि उनके कपड़ों में।
बिना अपना नाम उजागर किए एक लड़की ने एएनआई से बातचीत के दौरान कहा, “आप किसी लड़की का चरित्र उसके द्वारा पहने गए कपड़ों को देखकर कैसे तय कर सकते हैं? यह गलत है,खराबी पुरुषों की मानसिकता में है न कि उन कपड़ों में जो हम पहनते हैं।” हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सरपंच प्रेम सिंह का कहना है कि यह फैसला तब लिया गया था, जब दो साल पहले कॉलेज जाने वाली तीन लड़कियां अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ लड़कों के साथ भाग गई थीं।
Haryana: For the past one year, a Panchayat in Sonipat’s Isaipur Khedi village has banned girls from wearing jeans and using mobile phones. Sarpanch Prem Singh says ‘Girls are not allowed to wear jeans in our village and as they misuse mobiles, we have banned that as well’ pic.twitter.com/rt3SRvwaWy
— ANI (@ANI) April 18, 2018
This is completely wrong,problem is in mentality of men, not in the clothes we wear. How can you judge the character of a woman from the clothes she wears?:Resident of Isaipur Khedi village in Sonipat where Panchayat had banned girls from wearing jeans and using mobiles #Haryana pic.twitter.com/ieZk0ne2mK
— ANI (@ANI) April 18, 2018
सिंह का कहना है कि लड़कियों की इस हरकत ने पूरे गांव को शर्मिंदा किया था और ये वही लड़कियां थीं जो मोबाइल रखती थीं और मॉडर्न कपड़े पहनती थीं। इस गांव के कई लोगों का मानना है कि गांव की पंचायत द्वारा लिया गया यह फैसला लड़कियों के हित में है। वहीं, इस गांव के ही रहने वाले दिव्यम मलिक की बहन ने पंचायत के फैसले को न मानते हुए अमेरिका में जाकर पढ़ाई करके उन्हें करारा जवाब दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, दिव्यम ने कहा, “हमें पंचायत के इस तानाशाही फैसले के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन हाल ही में इस मामले को लेकर सरपंच ने मेरे परिवार से संपर्क किया था। निश्चित ही हम उनके आदेश को नहीं मानने वाले हैं। आज के समय में सभी चीजें इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। हम कैसे यह उम्मीद कर सकते हैं कि लड़कियां इसका इस्तेमाल न करें।” दिव्यम के अलावा पंचायत के एक सदस्य अनिल सिंह ने इस मामले पर कहा कि उन्होंने सरपंच के इस फैसले के बाद अपना पंचायत पद छोड़ दिया था। उन्होंने कहा, “मैंने सरपंच से कहा था कि यह गलत है, लेकिन उन्होंने अपना एजेंडा जारी रखा।”