हरियाणा में इन दिनों प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन किट्स की मांग और बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। हरियाणा खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन महीनों में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) की बिक्री में भारी गिरावट आई है। मार्च के पहले पखवाड़े में 40,763 किट की बिक्री हुई थी जो 27 मई से 9 जून के बीच घटकर मात्र 470 रह गई। अधिकारी इस सफलता का श्रेय राज्य में अवैध गर्भपात के खिलाफ चल रही राज्य टास्क फोर्स (STF) की कार्रवाई को देते हैं।

हरियाणा में लिंग अनुपात में काफी असंतुलन है। साल 2024 में हरियाणा का जन्म के समय लिंगानुपात (प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाएँ) गिरकर 910 हो गया, जो पिछले आठ सालों में सबसे कम है। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत 933 से कम है। राज्य में लिंगानुपात में गिरावट से चिंतित अधिकारियों ने एमटीपी किट की अवैध बिक्री पर कार्रवाई तेज कर दी है और अधिकृत थोक विक्रेताओं से किट के लेन-देन की निगरानी शुरू कर दी है। हरियाणा में 32 अधिकृत थोक विक्रेता हैं जो पंजीकृत एमटीपी केंद्रों को एमटीपी किट बेचते हैं।

हरियाणा में MTP किटों की बिक्री में गिरावट

आंकड़ों के अनुसार, 1 से 15 मार्च के बीच हरियाणा में 40,763 एमटीपी किटों की बिक्री दर्ज की गई, जिसमें अकेले सोनीपत जिले में 39,000 किटें बिकीं। अप्रैल के पहले पखवाड़े में यह रुझान जारी रहा जिसमें 25,721 किटों की बिक्री दर्ज की गई लेकिन दूसरे पखवाड़े में इसमें भारी गिरावट आई और केवल 1,492 किटें ही बिकीं। 27 मई से 9 जून के बीच एमटीपी किटों की बिक्री और भी कम होकर केवल 470 रह गई।

राज्य औषधि नियंत्रक मनमोहन तनेजा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “थोक विक्रेताओं को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे एमटीपी किट केवल रजिस्टर्ड डॉक्टर की सिफारिश पर अधिकृत एमटीपी केंद्रों को ही बेचें। हमने हर टैबलेट का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य कर दिया है और किसी भी उल्लंघन से सख्ती से निपटा जाएगा।

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हरियाणा में लिंग अनुपात में असंतुलन

मंगलवार को हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में आयोजित एसटीएफ की बैठक के दौरान अधिकारियों ने बताया, “3 से 9 जून के बीच 29 थोक विक्रेताओं ने एमटीपी किट की शून्य बिक्री दर्ज की।” अप्रैल में राजपाल ने अधिकारियों को एमटीपी प्रक्रियाएं करने वाले केन्द्रों के निरीक्षण का भी आदेश दिया और चेतावनी दी कि कन्या भ्रूण हत्या करने का दोषी पाए जाने वाले केन्द्रों को बंद कर दिया जाएगा। राजपाल ने लिंग आधारित गर्भपात करने वाले स्त्री रोग विशेषज्ञों के लाइसेंस तत्काल रद्द करने का आग्रह किया।

अधिकारियों का मानना ​​है कि चल रही पहलों का असर अगस्त-सितंबर तक दिखने लगेगा, जिससे जन्म के समय लिंग अनुपात में सुधार होगा। इस साल 3 से 9 जून तक, जन्म के समय बाल लिंग अनुपात प्रति 1,000 लड़कों पर 943 लड़कियों का दर्ज किया गया।पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स