सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल ने चार महिलाओं और एक बच्चे की हत्या के मामले में हिसार की अदालत के द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है। बता दें, रामपाल और उसके बेटे वीरेंद्र समेत 15 अन्य आरोपियों को हिसार कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

पुलिस ने साल 2014 में हिसार के बरवाला स्थित सतलोक आश्रम पर छापा मारा था। जिसमें पुलिस से बचने के लिए रामपाल ने अपने लोगों को आश्रम के अंदर और बाहर ढाल बनाकर खड़ा कर दिया था। उस दौरान रामपाल के सतलोक आश्रम से पुलिस ने तलाशी अभियान में दो बुलेटप्रूफ जैकेट, हथियारों का जखीरा, भारी संख्या में लाठियों समेत कई अन्य सामानों को बरामद किया था। रामपाल पर आरोप लगा था कि उसके कहने पर उसके कमांडो ने लोगों को बंधक बनाया था। जिसमें अनुयायियों की इस भीड़ के बीच दम घुटने से पांच लोगों की मौत हो गई थी। रामपाल में अपनी अपील में कहा है कि कोर्ट का फैसला सही नहीं है। उसे पुलिस के द्वारा जानबूझकर फंसाया गाय है।

गौरतलब है कि सतलोक आश्रम के बाहर हुई फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई थी। पुलिस ने रामपाल और उसके 37 अनुयायियों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था। बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। इसी मामले में हिसार कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रामपाल की पेशी थी, जहां रामपाल समर्थकों ने बवाल किया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने रामपाल और उसके अनुयायियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।

कौन है रामपाल?

अपने आपको संत बताने वाला रामपाल हरियाणा के सोनीपत स्थित गोहाना तहसील के धनाना गांव का निवासी है। हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में वो जूनियर इंजीनियर रह चुका है। उन दिनों वह 107 वर्षीय कबीरपंथी संत स्वामी रामदेवानंद महाराज के संपर्क में आया था और तभी से उनका शिष्य बन गया था।