हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के समय हिंसा को लेकर प्रकाश सिंह कमिटी की ओर से दी गई रिपोर्ट में अफसरों के नाकारापन का खुलासा हुआ है। कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार हिंसा के दौरान अतिरिक्‍त मुख्‍य सचिव(गृह) से लेकर डीजीपी और उनके नीचे तक के अफसर नाकाम रहे। कमिटी ने त्रिस्‍तरीय जांच और पूछताछ के बाद यह रिपोर्ट तैयार की। जांच कमिटी के चेयरमैन ने जांच के दौरान सभी अधिकारियों से अलग-अलग मुलाकात की। उनके बयान दर्ज किए। साथ ही उनसे एक तय फॉर्मेट में भी बयान लिए गए।

रिपोर्ट में अधिकारियों को लेकर की गई टिप्‍पणी:
चंदर शेखर खरे, डिप्‍टी कमिश्‍नर, हिसार: ”कमिटी अधिकारी के निर्लज्‍जतापूर्ण जातिगत पक्षपात से हैरान रह गई। कुछ और भी अधिकारी थे जिन्होंने पक्षपात किया लेकिन वे छुपाने में सक्षम थे। लेकिन चंदर खरे तो इसे दिखा रहे थे। नॉन गजेटेड रैंक में जातिगत पक्षपात निदंनीय है लेकिन ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारी का पक्षपात अक्षम्‍य है। सरकार उन पर उचित कार्रवाई कर सकती है।” खरे का इस महीने हिसार से ट्रांसफर कर दिया गया था।

अनिता यादव, डिप्‍टी कमिश्‍नर, झज्‍जर: ”कमिटी जिन भी डिप्‍टी कमिश्‍नर से मिली उनमें से इन्‍होंने ही कोई कदम नहीं उठाया। निराशाजनक बात है कि जब 19 -20 फरवरी को जिले में प्रदर्शन शुरू हो गए थे और सड़कें जाम कर दी गई तब वे अपने कैंप ऑफिस में ही रहीं। वे न केवल नेतृत्‍व करने में नाकाम रही बल्कि उनका रोल भी नेगेटिव था। सीनियर अधिकारी कई बार उनसे संपर्क नहीं कर पाए और कई बार तो उन्‍होने मजिस्‍ट्रेट भी शीघ्रता से नियुक्‍त नहीं किए। पुलिस, न्‍यायपालिका और सेना सभी को उनके साथ काम करने में दिक्‍कतें आईं। जब उनसे पूछा गया कि वे समस्‍या वाली जगहों पर क्‍यों नहीं गई तो उनका जवाब था कि उन्‍होंने अपने अधीनस्‍थों को अधिकार दे दिए थे। कमिटी का कहना है कि वह एक जिले का चार्ज संभालने के लिए अनफिट हैं।” यादव अभी भी झज्‍जर जिले में ही हैं।

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श्रीकांत जाधव, आईजी, रोहतक रेंज: रिपोर्ट में कहा गया है कि ”यदि रोहतक को सही तरह से संभाल लिया जाता तो अन्‍य जिलों में स्थिति काबू में रहती। यदि जाधव मौके पर उठ खड़े होते तो जो घटनाएं घटी उनका असर अलग होता। हालांकि जाधव यह मान बैठे कि दंगाई उन्‍हें मारने के लिए बाहर निकले हैं। चंडीगढ़ में एक सीनियर से बात करते हुए उन्‍होंने कहा, ”सर, आपको पता नहीं है हम किस तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं। मौत मेरे सामने खड़ी है।” राज्‍य सरकार ने आईएएस एके सिंह और आईपीएस बीएस संधू को रोहतक जाने और स्‍थानीय प्रशासन की मदद करने के लिए भेजा था। इन दोनों अधिकारियों ने श्रीकांत जाधव को ‘अस्थिर और काफी भावुक’ पाया।” जाधव को सस्‍पेंड करने के बाद 12 मई को फिर से नियुक्ति दे दी गई थी।

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डीके बहेड़ा, डिप्‍टी कमिश्‍नर, रोहतक: रिपोर्ट में बहेड़ा को ‘अनुभवहीन और अपरिपक्‍व अधिकारी’ बताया गया। साथ ही लिखा, ‘रोहतक जिले में चुनौतीपूर्ण स्थिति थी और वह उसका सामना नहीं कर पाए।’ बहेड़ा का रोहतक से ट्रांसफर कर दिया गया।

कृष्‍ण मुरारी, एसपी, कैथल: कलायत और पुंडरी में मुरारी के रेस्‍पॉन्‍स पर लिखा है, ‘अपर्याप्‍त।’ रिपोर्ट के अनुसार, ”उनकी मौजूदगी में दंगाइयों ने पदमा मॉल में तोड़फोड़ की। एसपी उनके खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहे। यहां तक कि उन्‍होंने खुद कहा कि उन्‍होंने दंगाइयों से वहां से चले जाने की विनती की। उनका व्‍यवहार अपमानजनक और पुलिस अधिकारी जैसा नहीं था। पर्याप्‍त फोर्स होने के बाद भी वे कैथल जैसी छोटी जगह पर भी कर्फ्यू लगाने में नाकाम रहे।” मुरारी की ड्यूटी अब कैथल में नहीं है।

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