हरियाणा में बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर राजनीति गर्मा गई है। हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (HERC) द्वारा टैरिफ संशोधन के तीन महीने बाद अब ये मुद्दा विपक्ष के निशाने पर है। जैसे ही जून के दूसरे-तीसरे हफ्ते में नए बिजली बिल उपभोक्ताओं के पास पहुंचे, कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चार गुना बढ़ोतरी का आरोप लगाया। वहीं मंगलवार को इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने पंचकूला में शक्ति भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने भाजपा सरकार पर 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने के चुनावी वादे से मुकरने का आरोप लगाया और कहा कि आम जनता पर इसका सीधा असर पड़ा है।
नायब सिंह सैनी सरकार का कहना है कि टैरिफ संशोधन से ज़्यादातर घरेलू उपभोक्ता प्रभावित नहीं होंगे, लेकिन विपक्ष ने बिजली उपभोक्ताओं की भारी संख्या का हवाला देते हुए इस मुद्दे को उठाया है। हरियाणा में 84 लाख बिजली उपभोक्ता हैं, जिनमें से 43.57 लाख दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम और 37.39 लाख उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के हैं।
ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने विपक्ष के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि 2 किलोवाट तक के कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं के बिलों में 2014-15 की तुलना में 49% से 75% तक की कमी आई है। विज के अनुसार, राज्य के 94% उपभोक्ता दो श्रेणियों — श्रेणी I (2 किलोवाट तक) और श्रेणी II (5 किलोवाट तक) — में आते हैं, जिनके बिलों में कमी आई है। उन्होंने यह भी बताया कि अब सभी घरेलू श्रेणियों के लिए न्यूनतम मासिक शुल्क हटा दिया गया है और कृषि दरें भी जस की तस बनी रहेंगी।
हुड्डा बोले- 1000 रुपये वाले को 4000 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं
वहीं हुड्डा का कहना है कि जिन परिवारों के बिल पहले 900 से 1,000 रुपये आते थे, अब उन्हें 4,000 से 5,000 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं। उनका आरोप है कि बिजली कंपनियों ने प्रति किलोवाट 75 रुपये का फिक्स चार्ज जोड़ दिया है, जिससे 10 किलोवाट के कनेक्शन पर हर महीने 750 रुपये का अतिरिक्त भार पड़ता है।
पहले स्लैब आधारित दरें 2.5 रुपये से 6.3 रुपये प्रति यूनिट थीं, जबकि अब 5 किलोवाट से ऊपर लोड के लिए दरें 6.5 से 7.5 रुपये प्रति यूनिट तक पहुँच गई हैं। इसके अलावा, हर स्लैब में 20 से 40 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि भी हुई है।
इस बीच कांग्रेस नेता और पूर्व बिजली मंत्री संपत सिंह ने HERC में पुनरावलोकन याचिका दाखिल कर सार्वजनिक सुनवाई की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिजली कंपनियां 7,964 करोड़ यूनिट बिजली 3.12 रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदकर उपभोक्ताओं को 7.29 रुपये में बेच रही हैं, लेकिन कुल खरीदी गई बिजली में से केवल 6,916 करोड़ यूनिट ही उपभोक्ताओं तक पहुंच रही है। बाकी बिजली ट्रांसमिशन में 22% से अधिक नुकसान के कारण बर्बाद हो रही है, और इसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है।