हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए जैसे-जैसे चुनावी माहौल गर्माता जा रहा है वैसे-वैसे हरियाणा में वर्षों से चल रहे चुनावी मुद्दे भी बाहर निकल आए हैं। दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस ने प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए पंजाब के नेताओं की भी ड्यूटियां लगाई हैं। दोनों राज्यों के बीच वर्षों से छिड़े कई पुराने विवादों के चलते पंजाब के नेताओं के हरियाणा में प्रचार पर संशय के बादल मंडराने शुरू हो गए हैं। हरियाणा का पंजाब के साथ कई दशकों से एसवाईएल को लेकर विवाद चल रहा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हरियाणा के हक में फैसला सुनाए जाने के बावजूद हरियाणा को आजतक उसके हिस्से का पानी नहीं मिला है। हरियाणा और पंजाब के बीच कई दशकों से राजधानी चंडीगढ़ के मुद्दे पर भी खींचतान चल रही है।

यह मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इसके अलावा दोनों राज्यों की हाईकोर्ट के मुद्दे पर भी तलखी चल रही है। हरियाणा अलग हाईकोर्ट की मांग कर रहा है। अब वर्तमान मनोहर सरकार ने हाल ही में चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा की हिस्सेदारी मांग ली है जिस पर पंजाब ने आपत्ति जताई है। इन सब मुद्दों के चलते हरियाणा के नेताओं को पंजाब तो पंजाब के नेताओं को हरियाणा में कई बार असहज स्थिति का सामना करना पड़ता रहा है। इस चुनाव में जहां शिरोमणि अकाली दल इंडियन नेशनल लोकदल के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहा है वहीं कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़, पंजाब कांग्रेस प्रभारी आशा कुमारी की हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए ड्यूटी लगाई है।

दूसरी तरफ भाजपा 9ने भी पंजाब से भाजपा सांसद व अभिनेता सन्नी देओल और भाजपा नेता तरूण चुघ की हरियाणा में प्रचार के लिए ड्यूटियां लगाई है। इस चुनाव में अकाली दल अध्यक्ष व पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल को एसवाईएल जैसे कई मुद्दों पर मीडिया व जनता के सवालों का सामना करना पड़ चुका है। यही वजह रही कि सुखबीर बादल अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के नामांकन के बाद हरियाणा में नहीं आए। अब कांग्रेस और भाजपा नेताओं के भी हरियाणा में प्रचार के लिए आने पर संशय बन गया है। क्योंकि पंजाब के नेता अगर हरियाणा में प्रचार के लिए आते हैं तो वर्षों पुराने मुद्दों पर टकराव की स्थिति बनेगी।