हरियाणा सरकार ने उच्च शिक्षा संस्थानों में नामांकन में अनुसूचित जाति के 20 प्रतिशत आरक्षण फिक्स कर दिया है। यह एससी वर्ग के कुल 50 फीसदी के दायरे में ही होगा। अनुसूचित जाति वर्ग की 36 वंचित जातियों के युवा छात्रों के लिय खट्टर सरकार ने यह फैसला लिया है।इस संदर्भ में हरियाणा विधानसभा में एक संशोधन बिल भी पास किया गया है।
खट्टर सरकार के इस कोटे के अंदर कोटे के फैसले का कांग्रेस ने विरोध किया है। कांग्रेसी विधायक गीता भुक्कल ने कहा कि जैसी आरक्षण व्यवस्था है वैसे चलने दिया जाए। उन्होंने कहा कि जाट और गैर जाट की तरह एससी वर्ग के लोगों को बांटने के लिए ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब मामला कोर्ट में लंबित है तो फिर सरकार इस पर बिल कैसे ला सकती है?
खबरों के मुताबिक देहा-धाया-धेइया, धानक, धोगरी-धांगरी-सिग्गी, डुमना- महाशा-डूम, गगरा, गंधीला-गंदील-गंदोला, कबीरपंथी-जुलाहा,अद धर्मी, वाल्मीकि, बंगाली, बरार-बुरार-बेरार, बटवाल-बरवाला, बोरिया-बावरिया, बाजीगर, बंजारा, चनल, दरेन,संसोई, सपेला-सपेरा, सरेरा, सिकलीगर-बरीया व सिरकीबंद, खटीक, कोरी, कोली, मरीजा-मरेच, मजहबी-मजहबी सिख, मेघ-मेघवाल, नट-बदी, ओड, पासी, पेरना, फरेरा, संहाई, संहाल, सांसी-भेदकुट-मनेश, की जातियों के युवा छात्रों को 20 फीसद अलग आरक्षण का लाभ मिलेगा। दलितों के बीच, सरकार ने ‘वंचित अनुसूचित जाति ’नामक एक नई श्रेणी की पहचान की है, जिसमें वाल्मीकि, बाजीगर, सांसी, देहा, धानक और सपेरा सहित 36 जातियां शामिल हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि “सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ापन के चलते“अनुसूचित जातियों का यह वर्ग आम अनुसूचित जातियों की तुलना में समानता के संवैधानिक अधिकार से वंचित हैं। सरकारी नौकरियों की बात आती है तो वंचित अनुसूचित जाति राज्य की अन्य अनुसूचित जातियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं हैं। यही कारण है कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच आरक्षण के लाभों का आनुपातिक वितरण प्रदान करने और वंचित अनुसूचित जातियों के उत्थान की आवश्यकता है, जो अन्य सभी अनुसूचित जाति के साथ आरक्षण प्रणाली का उचित लाभ उठाने में विफल रहे हैं।”