संसद के बजट सत्र का सत्रावसान करने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार कहा कि केंद्र की भाजपानीत सरकार ने केवल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिये यह ‘असाधारण’ कदम उठाया। रावत ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा,‘ऐसी क्या आपात या असाधारण स्थिति या बाहरी हमला हो गया था कि चलते हुए संसद सत्र को टालना पड़ा, अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं है। क्या यह सच नहीं है कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए ही यह सब किया गया।’
उन्होंने कांग्रेस के नौ बागी विधायकों के आवासों की सुरक्षा के लिए लगाए गए औद्योगिक सुरक्षा बल पर भी केंद्र सरकार को घेरा और कहा कि केंद्रीय संस्थानों की सुरक्षा में लगाए जाने वाले बल को विधायकों के घरों के बाहर तैनात करना आश्चर्यजनक है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा,‘ऐसा क्या खजाना, दुर्लभ, पांडुलिपि, रत्न या राष्ट्रीय सुरक्षा के दस्तावेज बागी विधायकों के घर में है जो केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों को वहां लगाया गया है।’ उत्तराखंड में भाजपा द्वारा कांग्रेस विधायकों को खरीदे जाने के आरोपों को फिर दोहराते हुए रावत ने कहा कि अभी चार पांच दिन पूर्व चार कारों के आगे पीछे केंद्रीय फोर्स के एस्कोर्ट के साथ कौन शार्प शूटर्स या राष्ट्रीय महत्वपूर्ण लोग देहरादून आए थे, यह खोज का विषय है।
संवाददाताओं द्वारा ‘शार्पशूटर्स’ के संबंध में किए गए सवाल के जवाब में रावत ने बिना नाम लिए विजयवर्गीय की ओर इशारा करते हुए कहा कि नौ विधायकों को उन्होंने शूट किया है। केंद्र के षडयंत्र के कारण प्रदेश को भारी नुकसान होने की बात कहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अब सभी संवैधानिक अधिकार राज्यपाल के पास है और इसलिए वह उनसे आग्रह कर रहे है कि प्रदेश के मंत्रिमंडल द्वारा समय-समय पर लिए गए निर्णय, योजनाओं व बजट को लागू करना उनकी नैतिक व वैधानिक जिम्मेदारी है।