हल्द्वानी हिंसा के मामले में उत्तराखंड सरकार और पुलिस द्वारा फुल स्पीड में कार्रवा्ई की जा रही है। पिछले 24 घंटे के अंदर में 25 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अलावा उपद्रवियों द्वारा जिस गोले बारूद को लूटा गया था, उसे भी जब्त कर लिया गया है। अभी तक ये साफ नहीं कि मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक को गिरफ्तार किया गया है या नहीं, लेकिन माना जा रहा है पुलिस की नजर उसकी गतिविधियों पर है और जल्द ही उसे भी अरेस्ट कर लिया जाएगा।

हल्द्वानी हिंसा की बात करें तो अवैध मदरसे को लेकर बड़े स्तर पर बवाल हुआ था। प्रशासन जब बुलडोजर लेकर उस अवैध मदरसे को तोड़ने गया तो एक विशेष समुदाय के लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। पथराव के बाद कई गाड़ियों को आग के हवाले किया गया। उस हिंसा में कुल 6 लोगों की मौत हुई और 100 से ज्यादा घायल हुए। घायलों में कई तो वो पुलिस कर्मी भी शामिल थे जो बुलडोजर के जरिए अवैध मदरसे को हटाने आए थे। अभी के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दे रखे हैं। इसके अलावा उत्तराखंड के कई जिलों में अभी भी कर्फ्यू चल रहा है और इंटरनेट सस्पेंड है।

हैरानी की बात ये है जिस हल्द्वानी हिंसा में इतना नुकसान हुआ, उसकी जानकारी एक हफ्ते पहले ही इंटेल द्वारा दे दी गई थी। वो सीक्रेट जानकारी ये थी कि जब प्रशासन द्वारा अवैध मदरसे को हटाया जाएगा तब अब्दुल मलिक अपने कुछ साथियों और कट्टरपंथी संगठनों के साथ मिलकर बड़े स्तर पर उपद्रव मचाएगा। अब अगर इंटेल की ये जानकारी पहले से थी, जमीन पर उसको लेकर सुरक्षा मुस्तैद क्यों नहीं की गई? इसी तरह समय रहते अतिरिक्त फोर्स क्यों नहीं पहुंची क्योंकि उपद्रवियों ने बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचाने का काम पहले ही कर दिया था।

वैसे इसी मामले में डीएम वंदना सिंह का कहना है कि ये मस्जिद सरकारी जमीन पर बनी थी, जिसमें कहीं भी धार्मिक संरचना होने का जिक्र नहीं है। इस मामले में साफिया मलिक नाम की याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया कि ये जमीन 1937 ले लीज पर है और मलिक परिवार को इन्हेरिटेंस में मिली है। लीज रिन्यू करने की याचिका नगर निगम के पास लंबित है। हालांकि अभी तक कोर्ट ने इस मामले में कोई राहत नहीं दी है। अगली सुनवाई 14 फरवरी को होनी है।