ज्ञानवापी के दक्षिणी हिस्से में बने व्यास जी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा-पाठ की इजाजत मिल गई है। जिला अदालत के फैसले के बाद ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में आधी रात को 2 बजे पूजा हुई। यहां 30 साल तक पूजा करने पर रोक लगी हुई थी। कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी के व्यास तहखाने के बाहर बुधवार देर रात से अचानक ही हलचल बढ़ने लगी और रात 10 बजे वाराणसी के जिलाधिकारी और डीआईजी ज्ञानवापी के परिसर में पहुंचे।
काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि रात करीब साढ़े 10 बजे 31 साल बाद व्यास जी का तहखाना पूजा-पाठ के लिये खोला गया और उसकी साफ-सफाई करायी गयी।” उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि न्यायालय का आदेश था, उसका पालन करना भी जरूरी था तो जिला प्रशासन ने बड़ी मुस्तैदी के साथ सारी व्यवस्था कर दी है। मुझे लगता है कि और जो भी कमी रह गई है उसे धीरे-धीरे पूरा कर लिया जाएगा।’’
तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार
वाराणसी की जिला अदालत ने बुधवार को हिंदू पक्ष को बड़ी राहत देते हुए परिसर में मौजूद तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का निर्णय सुनाया था। जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने डीएम को सात दिन के अंदर व्यास जी के तहखाने में पूजा-पाठ के प्रबंध करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि वादी और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड की ओर से रखे गये पुजारी यहां पूजा करेंगे। पूजा के लिए लोहे के बाड़ हटाकर रास्ता देने के लिए भी डीएम को आदेश किया गया है।
साल 1992 तक व्यास जी तहखाने में होती थी नियमित पूजा
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह हमारी सबसे बड़ी जीत है। मुस्लिम पक्ष के दावे को कोर्ट ने नकार दिया है। कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी को 7 दिनों के भीतर पूजा की व्यवस्था करने का आदेश दिया है। साल 1992 तक व्यास जी तहखाने में पूजा नियमित तौर पर होती थी। 6 दिसंबर 1992 को हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद व्यास जी तहखाने में नियमित पूजा को बंद करने का आदेश दिया गया था। इसके बाद यहां पर सालाना श्रृंगार गौरी की पूजा हो रही थी।
मुस्लिम पक्ष आदेश को देगा चुनौती
मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है। हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव के मुताबिक, जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने कहा, ‘‘आज जिला न्यायाधीश ने हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार देकर अपना अंतिम फैसला दे दिया है। अब हम इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे।’’
व्यास परिवार के सदस्य जीतेंद्र नाथ व्यास ने कहा, “हम बहुत खुश हैं कि हमें वहां पूजा फिर से शुरू करने की अनुमति मिल गई है। पूजा के समय कल काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के 5 पुजारी, व्यास परिवार के सदस्य, वाराणसी के डीएम और कमिश्नर वहां मौजूद थे।
बुधवार को कोर्ट ने दिया पूजा का आदेश
ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी तहखाने में दोबारा पूजा की अनुमति देने संबंधी अर्जी पर मंगलवार को जिला जज में सुनवाई पूरी हो गई थी। जिला जज डॉ। अजय कृष्ण विश्वेश ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था। बुधवार को इस संबंध में कोर्ट ने अपना आदेश सुनाया। वादी शैलेश व्यास के अनुसार, उनके नाना सोमनाथ व्यास का परिवार 1993 तक तहखाने में नियमित पूजा- पाठ करता था। साल 1993 से तहखाने में पूजा- पाठ बंद हो गई। वर्तमान में यह तहखाना अंजुमन इंतजार मसाजिद के पास है। तहखाना को डीएम की निगरानी में सौंपने के साथ वहां दोबारा पूजा शुरू करने की अनुमति मांगी गई थी। अदालत के 17 जनवरी के आदेश पर डीएम ने 24 जनवरी को तहखाना अपनी सुपुर्दगी में ले लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने तहखाने को एएसआई के सर्वे के दौरान सील करने का आदेश दिया था। ज्ञानवापी केस में हिंदू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने एएनआई से कहा कि, ”1993 में वहां पूजा-पाठ होती थी। मुलायम सिंह की तत्कालीन सरकार ने बिना किसी सक्षम न्यायालय के आदेश के तहखाने को लोहे की पट्टिका से घिरवाकर वहां पूजा बंद करा दी थी।”