मध्य प्रदेश के बाद गुजरात में भी सांप्रदायिक हिंसा के आरोपियों की दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया है। जिला प्रशासन ने खंभात के शकरपुर गांव में शुक्रवार को कार्रवाई करते हुए सात दुकानें ध्वस्त कर दीं। ये दुकानें रामनवमी के दौरान हुई हिंसा में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों की थीं। इन दंगों में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी।

जिला आनंद में प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, शुक्रवार को स्थानीय पुलिस की निगरानी में करीब सात कियोस्क और कार्ट्स को ध्वस्त कर दिया गया। आरोप लगाया गया कि इनका निर्माण अवैध रूप से किया गया था। शकरपुर के सरपंच दिनेश पटेल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि दंगों, साजिश और हत्या के प्रयास के आरोप में गांव के 61 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, इनमें से कुछ के अवैध खोखों को गिराया गया है।

आनंद के जिला कलेक्टर एमवाई दक्सिनी ने कहा, “एसडीएम (खंभात) की एक प्रशासनिक टीम और सहायक पुलिस अधीक्षक (खंभात) की बंदोबस्त टीम शुक्रवार को उस समय मौजूद थी जब हमने सरकारी जमीन से अवैध लारी-गल्ला (कियोस्क और कार्ट्स) को हटाकर सरकारी जमीन को खाली कराया था।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, सरपंच पटेल ने कहा, “कियोस्क पर कुछ सालों तक सिगरेट और पान मसाला बेचा जाता था। सभी दुकानें दंगों के आरोपियों की हैं और उनमें से एक रज्जाक पुलिस हिरासत में है। उन्होंने पंचायत कार्यालय के पास की सरकारी जमीन पर भी कब्जा कर लिया था।”

10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान शकरपुर गांव में हिंसात्मक घटनाएं हुई थीं। दोनों ओर से भारी पथराव के बीच खंभात के छतरी बाजार निवासी कन्हैया लाल राणा (57) की मृत्यु हो गई थी। द इंडियन एक्सप्रेस की मंगलवार को एक रिपोर्ट में पुलिस और राणा के परिवार के सदस्यों का हवाला देकर बताया गया था कि राणा जुलूस का हिस्सा नहीं थे, और घटना के दिन वे मंदिर में दर्शन करके घर लौट रहे थे। पुलिस ने मामले में दो प्राथमिकी दर्ज की हैं।