गुजरात चुनाव में भले ही कांग्रेस और बीजेपी के बीच की लड़ाई बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भी इज्जत का मुद्दा बन गई थी। जदयू का गुजरात में एक विधायक था। जिस तरह एक-एक वोट के लिए कांग्रेस और बीजेपी में संघर्ष हो रहा था जदयू विधायक की पूछ काफी बढ़ गई थी। जुलाई में कांग्रेस-राजद से महागठबंधन तोड़कर नीतीश और जदयू ने बीजेपी से हाथ मिलाकर बिहार में सरकार बनाई थी। नीतीश पर इस बात का काफी दबाव था उनके इकलौटे विधायक छोटूभाई वासवा बीजेपी को वोट दें। नीतीश गुजरात चुनाव को लेकर कितने गंभीर थे इसका पता इससे चलता है कि कि उन्होंने रविवार (छह अगस्त) को गुजरात राज्य सभा चुनाव के रिटर्निंग अफसर डीएम पटेल को पत्र लिखकर कहा था कि जदयू महासचिव केसी त्यागी “एकमात्र आधिकारिक नेता” हैं जो चुनाव में पार्टी की तरफ से पोलिंग एजेंट नियुक्त करेंगे, “अगर कोई और आपसे कोई संपर्क करता है तो उसे फर्जी और अवैध मानें।”
मंगलवार (आठ अगस्त) जब वासवा ने सार्वजनिक रूप से कांग्रेस के अहमद पटेल को वोट देने की बात कह कर टीवी पर ही बीजेपी की मजामत कर दी। इस झटके का असर जदयू पर तुरंत दिखा। जदयू ने पार्टी के महासचिव अरुण श्रीवास्तव को पार्टी के नाम पर पोलिंग एजेंट नियुक्त करने के लिए निष्कासित कर दिया। केसी त्यागी ने श्रीवास्तव को भेजे निष्कासन पत्र में लिखा है, “पार्टी अध्यक्ष (नीतीश कुमार) ने आपसे ऐसा करने के लिए नहीं कहा था। आपका कृत्य न केवल पार्टी विरोधी गतिविधि है बल्कि ये अनुशासनहीनता और धोखा भी है।” त्यागी ने लिखा, “पार्टी अध्यक्ष ने आपके इस कृत्य का गंभीर संज्ञान लिया है और आपको आपकी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया है…।”
श्रीवास्तव ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “नीतीश कुमार के तानाशाही रवैये के खिलाफ जाने की वजह से मेरे ऊपर कार्रवाई की गई है। गुजरात का मुद्दा तो केवल एक बहाना है। मैंने सबसे पहले नीतीश कुमार के खिलाफ स्टैंड लिया था, मुझे शरद यादव का साथ देने की भी सजा दी गई है।” श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें इसके पहले कोई नोटिस नहीं दी गई थी। श्रीवास्तव ने कहा, “मैं जदयू का संस्थापक सदस्य हैं। नीतीश को मुझे ऐसे निकलाने का कोई अधिकार नहीं है।”
