गुजरात के कई हिस्सों में मृत मवेशियों के खाल निकालने और उनका निस्तारण करने का काम करने वाले समुदाय के सदस्यों ने ऊना में दलितों की पिटाई के विरोध में यह काम करने से इनकार कर दिया है और मांग की है कि ‘गौ-रक्षकों’ के उत्पीड़न से बचाने के लिए सरकार द्वारा उन्हें सुरक्षा और पहचान पत्र प्रदान करे।

समुदाय के सदस्यों के अपने काम से दूर रहने के निर्णय की वजह से प्रशासन को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है, विशेष रूप से सुरेंद्रनगर शहर में जहां नगर निकाय के कर्मचारियों ने पिछले एक सप्ताह के दौरान स्वयं के संसाधन का उपयोग करते हुये 80 से अधिक मृत मवेशियों का निस्तारण किया है।
सुरेंद्रनगर जिले के कलेक्टर उदित अग्रवाल के अनुसार, आने वाले दिनों में वह दलित समुदाय की मांगों को लेकर सरकार के साथ चर्चा करेंगे।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘समुदाय के लोग पिछले एक सप्ताह से हड़ताल पर हैं। इसलिए, मृत मवेशियों के निस्तारण के काम में नगरपालिका के कर्मचारी लगे हुये हैं। कुछ पशु पालक भी हमारी मदद कर रहे हैं। अब तक, हमने शहर में 88 मृत मवेशियों का निस्तारण किया है। हम यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि चल रहे विरोध की वजह से लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मामला थोड़ा सुलझ जाने के बाद, हम मांगों पर चर्चा के लिए दलित नेताओं को बुलाएंगे। चुंकि उन्होंने अभी तक मुझे लिखित में कुछ भी नहीं दिया है। उनकी मुख्य मांगों में एक मांग आई-कार्ड प्रदान करना है। हम निश्चित रूप एक दीर्घकालिक समाधान के लिए इस मांग को उच्च अधिकारियों के समक्ष रखेंगे।’’ दलित अधिकार समूहों के शीर्ष संगठन ‘दलित मानव अधिकार मूवमेंट ’ ने हड़ताल का आह्वान किया था।