गुजरात भयंकर बारिश के दौर से गुजर रहा है, पिछले सारे रिकॉर्ड टूट चुके हैं, जलस्तर बढ़ने से कई गांव प्रभावित और रेस्क्यू करना भी मुश्किल साबित हो रहा है। इस समय गुजरात के कई जिले, कई गांव रेड अलर्ट में चल रहे हैं, वहां बारिश कब रुकेगी, इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल हो रहा है। लेकिन वडोदरा में बरसात की तीव्रता कम हुई है, वहां अब बारिश हल्की होती दिख रही है, लेकिन उस कम होती बारिश ने तबाही की तस्वीरें दिखाना शुरू कर दिया है।
गुजरात बाढ़: वडोदरा में क्या हुआ था?
वडोदरा का देना गांव बाढ़ का दंश झेल रहा है। वहां पर कई लोगों ने अपनी जीविका गंवा दी है, किसी की कई सारी गायों की मौत हो चुकी है, कोई अपना घर छोड़ने को मजबूर हुआ तो किसी के खेत पूरी तरह पानी में डूब चुके हैं। सोमवार को आई एक त्रासती ने इस गांव की तस्वीर बदलकर रख दी है। परेशान खड़ा एक 33 साल का युवक उस मनहूस रात को याद कर कहता है- कोई वॉर्निंग नहीं दी गई थी, हमारे पास प्रशासन से कोई जानकारी नहीं आई थी। अचानक से ही रात में सबकुछ हो गया, करीब सुबह के 3 बजे हमे पता चला कि घर में पानी घुस रहा है। जब तक अपने जरूरी सामान को बचा पाते, घुटनों तक पानी भर चुका था। हमने सबकुछ इकट्ठा किया, बच्चों को उठाया और वहां से भाग गए। लेकिन पानी तब रुका नहीं था। अपने ट्रक के ऊपर ही अपने दो दिन गुजारे हैं।
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Gujarat Rain: बच्चे बचाएं या पशु- धर्मसंकट से जूझ रहे लोग
देना से ही दूर एक और गांव है- कोटाली। वहां पर भी बाढ़ का प्रकोप देखने को मिला है। बड़ी बात यह है कि जिस दिन उस गांव ने जनमाष्टमी का त्योहार मनाया, उसी रात उस गांव ने अपना सबसे मुश्किल भी दिखा। 27 साल का राहुल अभी भी सहमा सा हुआ है, उस रात को याद कर डर जाता है। जब ज्यादा पूछा तो बोला हमने तो बस अपना व्रत तोड़ा ही था। हालात ऐसे बन गए थे कि हमे फैसला लेना पड़े- बच्चों को बचाएं या अपने अपने बच्चों जैसे पशुओं को। किसी और को अभी ऐसी दुविधा में ना फंसना पड़े।
गुजरात बारिश: किसी ने खोया घर, कोई हो गया बेरोजगार
इस समय वडोदरा से 11 किलोमीटर दो और गांव की हालत खस्ताहाल चल रही है। लोगों का दर्द, उनकी तकलीफ देख सिरहन सी आ जाती है। किसी ने अपनी गाड़ी इस बाढ़ में खो दी है तो कोई अपनों को तलाश रहा है। ऐसा आलम हो चला है कि बस मायूस चेहरे मदद की गुहार लगा रहे हैं। यासिन खान अभी भी अपने गम से उबर नहीं पाया है। इस बाढ़ ने उसकी 12 बकरियां उससे छीन लीं, सिर्फ एक महीने पुराना ट्रैक्टर भी बह गया और गाड़ी भी अब साथ नहीं है। उसका जीवन थम सा गया है, वो आस की नई किरण का इंतजार कर रहा है।
गुजरात: चुनौती के बीच संघर्ष की मिसाल
अब इन चुनौतियों के बीच देना गांव एक हिम्मत भी दिखा रहा है। वो अपनों को ही संबल देने का काम कर रहा है। रेस्क्यू टीम तो अपने काम में लगी ही है, गांव के लोग खुद भी राफ्ट बनाकर दूर दराज के इलाकों से लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल रहे हैं। इतना सबकुछ भी इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि वडोदरा ने ऐसी बाढ़ पिछले 70 सालों में नहीं देखी है। हर बुजुर्ग अपनी बूढ़ी आंखों से उस साल को टटोल रहा है जब असल में इतनी तबाही देखने को मिली थी। अभी के लिए वडोदरा में हालात सुधर रहे हैं, पानी भी कम हुआ है और लोगों तक राशन पहुंचना भी शुरू हो चुका है।
Brendan Dabhi की रिपोर्ट