‘आपको रजवाड़े नहीं चलाने हैं, लोकतंत्र है। आप लोगों को बोलने से नहीं रोक सकते। हर व्यक्ति को शिकायत करने का अधिकार है।’ गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस परेश उपाध्याय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए लोकतंत्र के महत्व को समझाया और यह टिप्पणी की। दरअसल अदालत, गोधरा के एक नागरिक द्वारा उसे तड़ीपार करने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने तड़ीपार के आदेश पर स्थगन दिया और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को फटकार भी लगाई।

अदालत ने गोधरा के एसडीएम और स्थानीय विधायक को फटकार लगाते हुए कहा कि आपके क्षेत्र के लोग आपसे कोई सवाल पूछेंगे तो क्या उन्हें तड़ीपार करेंगे? वो अपनी समस्या आपके पास लेकर नहीं आएंगे तो कहां जाएंगे? लोगों की फरियाद सुनना जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी और कर्तव्य है। लोगों की शिकायत का समाधान खोजना आपकी जिम्मेदारी है। न कि इसके बदले फरियादी को ही तड़ीपार करना चाहिए था।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने गोधरा के विधायक सीके राओलजी और एसडीएम के प्रति सख्त नाराजगी जताते हुए दोनों को नोटिस जारी कर पक्ष रखने के लिए कहा। उल्लेखनीय है कि गोधरा के रहने वाले प्रवीणभाई ने फरियाद की थी कि विधायक लोगों का काम क्यों नहीं करते? उन्होंने अपने क्षेत्र में जरूरी काम न होने पर असंतोष जताया था। उन्होंने इसके खिलाफ आवेदन भी दिया था। इसको लेकर दोनों पक्षों में कहासुनी हुई थी। विधायक के बेटे मालवदीप सिंह की लिखित शिकायत के आधार पर प्रवीणभाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गईं थीं।

तड़ीपार किया: प्रवीणभाई को जिला बदर करने का आदेश तीन एफआईआर के आधार पर किया गया था। इनमें से एक 2017 की है, दूसरी 2019 की। गोधरा के एसडीएम द्वारा जारी तड़ीपार का आदेश उस एफआईआर के आधार पर बना था, जो इस साल 14 जून को तहसील पुलिस थाने में दर्ज की गई थी। हाईकोर्ट ने शिकायत के सार को भी संज्ञान में लिया है। मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी।

ऐसा ही रवैया रहा तो नागरिकों को सुरक्षा की जरूरत पड़ेगी: अदालत ने बेहद सख्ती से यह भी कहा कि नागरिकों में स्थानीय विधायक को लेकर ऐसा असंतोष रहा तो हैरत नहीं होगी यदि लोगों को कानूनी संरक्षण की जरूरत पड़े। इतना ही नहीं कोर्ट ने विधायक से पूछा कि क्या वो तड़ीपार की कार्रवाई का समर्थन करते हैं? अदालत ने इस पर भी नाराजगी जताई कि एसडीएम ने अपने अधिकारों के परे जाकर विधायक के बेटे पर मेहरबानी दिखाई। उन्होंने सवाल पूछने वाले प्रवीणभाई को सात जिलों से दो साल के लिए तड़ीपार करने का आदेश जारी कर दिया। एसडीएम के आदेश को ही पीड़ित ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने गुजरात पुलिस एक्ट (1951) की धारा 56 (बी) के तहत जारी एसडीएम के आदेश को निरस्त कर दिया।