गुजरात सरकार दलितों, ठाकोर और राजपूत समुदाय के लोगों पर दर्ज कुछ मुकदमों को वापस लेने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इन समुदायों पर बीते 3 सालों में विभिन्न आंदोलनों के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस लिए जाएंगे। खबर के अनुसार, उना दलित आंदोलन के दौरान दलितों पर दर्ज हुए मुकदमे वापस लिए जाएंगे। उसी तरह तरह पदमावती फिल्म के विरोध के दौरान राजपूत समुदाय पर और उत्तर भारतीयों पर हमले करने के मामले में ठाकोर समुदाय के लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे।
गुजरात सरकार के गृहराज्य मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में इस खबर की पुष्टि की है। प्रदीप सिंह जडेजा ने बताया कि ‘मैंने डीजीपी और विभिन्न जिलों के एसपी से इन मामलों से जुड़ा डाटा उपलब्ध कराने को कहा है। डाटा इकट्ठा करना एक बड़ा काम है और इसमें समय लगेगा। एक बार जब हमारे पास डाटा आ जाएगा। इसे मुख्यमंत्री के सामने रखा जाएगा, जिसके बाद ही इसे लेकर कोई फैसला हो सकेगा।’ गुजरात के गृहराज्यमंत्री ने बताया कि अभी ऐसे मुकदमों में जिन्हें वापस लिया जाना है, अभी उनके बारे में सटीक जानकारी देना मुश्किल है।
बता दें कि साल 2016 में गुजरात के उना में कुछ दलित युवकों की पिटाई के बाद दलित समुदाय सड़कों पर उतर आया था। जिस दौरान दलित समुदाय की पुलिस प्रशासन के साथ कुछ झड़पें भी हुई थीं। वहीं साल 2018 में पदमावती फिल्म के प्रदर्शन के खिलाफ राजपूत समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किए थे। बीते साल अक्टूबर में गुजरात के साबरकांठा जिले में एक बच्ची के साथ बलात्कार की घटना के बाद उत्तर भारतीयों पर हमले की घटनाएं सामने आयी थीं। इन हमलों में ठाकोर समुदाय के लोगों का नाम सामने आया था।

