गुजरात के मेहसाणा जिले के कादी तहसील में दलितों के बहिष्कार के मामले में अगड़ी जाति के पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह मामला कडी तालुका के लोर गांव का है। गांव में इस वक्त काफी पुलिसवाले और राजनेता नजर आ रहे हैं। हालांक, शुक्रवार को सड़कें सूनी दिखीं और दुकानें भी बंद रहीं। बता दें कि अगड़ी जाति खासतौर पर ठाकोर समुदाय के लोगों ने बुधवार को दलितों का बहिष्कार करने का फैसला किया था। मेहुल परमार नाम के दलित दूल्हे ने गांव में 7 मई को अपनी शादी की बारात निकाली थी। मेहुल के पिता मनु ने 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इनमें सरपंच विनू ठाकोर और उनके सहयोगी बलदेव भी शामिल थे। गुरुवार देर शाम इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। शुक्रवार को स्थानीय अदालत ने इन्हें जेल भेज दिया।

गांववालों का कहना है कि हालात तब तक ठीक थे, जब दलित यहां की अगड़ी जाति के लोगों के मृत मवेशियों के शव उठाते थे। दलितों के मुताबिक, उन्हें छुआछुत का सामना कई तरीकों से करना पड़ता है। मसलन-गांव का नाई उनके बाल काटने से इनकार कर देता है। उनका मंदिरों में प्रवेश वर्जित है। यहां तक कि स्थानीय किरानेवाला भी उन्हें सामान देने से इनकार कर देता है। एक स्थानीय दलित नवीन परमार ने कहा, ‘धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान जब सामूहिक भोज होता है तो दलितों को अलग बैठाया जाता है। यही नहीं, इन आयोजन में खाना सिर्फ ऊंची जाति के लोग परोसते हैं।’

नवीन ने बताया, ‘इन सब ज्यादतियों की वजह से एक साल से ज्यादा वक्त पहले हमने गांव में पशुओं के शव उठाने से मना कर दिया। और इसी की वजह से वह काफी नाराज हो गए। इन सब के बाद पहली बार ऐसा हुआ, जब गांव की सड़कों पर एक दलित घोड़े पर सवार होकर शादी की बरात लेकर निकला। इससे उनका (ऊंची जाति वालों का) अहं चोटिल हुआ। उन्हें ऐसा लगा कि अगर दलित अपना पुश्तैनी काम नहीं करते हैं तो वे जुलूस कैसे निकाल सकते हैं।’ वहीं, पांच आरोपियों में से एक के रिश्तेदार ने नवीन की बातों को सत्यापित किया। महिला ने कहा, ‘बीते एक साल से, हमें पशुओं के शव उठाने पड़ रहे थे या उनका निपटारे का इंतजाम करना पड़ रहा था। अगर वे (दलित) अपना काम नहीं करेंगे तो हमें क्या करना चाहिए?’