केन्द्र सरकार भारत के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले हिंदू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने की संभावना पर विचार कर रही है। लेकिन केन्द्र सरकार की इस कोशिश का असम में उसकी सहयोगी पार्टी असम गण परिषद् ने कड़ा विरोध शुरु कर दिया है। यहां तक कि इस मुद्दे पर असम गण परिषद ने इतना सख्त रुख अपनाया है कि उसने असम में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने की धमकी भी दे डाली है। बता दें कि गृह मंत्रालय ने हाल ही में एक नोटिफिकेशन जारी कर देश के 7 राज्यों के जिलाधिकारियों और गृह सचिवों को यह शक्ति दी है कि वह सिटिजनशिप एक्ट के सेक्शन 6 के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू अल्पसंख्यकों को नैचुरलाइजेशन (नागरिकता) के सर्टिफिकेट दे सकते हैं।
केन्द्र सरकार के इसी फैसले से असम गण परिषद ने नाराजगी जतायी है। असम गण परिषद के प्रवक्ता सत्यब्रत कालिता ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि “हमें ऐसा लगता है कि सिजिटनशिप बिल में बदलाव के लिए भाजपा का यह पहला कदम है। वो देखना चाहते हैं कि असम के लोग इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।” असम गण परिषद (AGP) प्रस्तावित सिटिजनशिप बिल, 2016 का विरोध कर रही है। AGP ने बीते सप्ताह इस मुद्दे पर असम बंद का आयोजन भी किया था और एक बड़ी रैली निकाली थी।
वहीं दूसरी तरफ असम के वित्त मंत्री हेमांता बिस्वा सरमा का कहना है कि “गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन का प्रस्तावित सिटिजनशिप बिल से कोई लेना-देना नहीं है। सरमा ने कहा कि असम एक शांतिप्रिय राज्य है और केन्द्र सरकार जो भी फैसला करेगी वह देशहित में ही होगा। असम के लोग भी इस बात को समझेंगे। सिटिजनशिप बिल फिलहाल जेपीसी के पास है, जहां से उसे संसद में भेजा जाएगा। जहां से अंतिम फैसला लिया जाएगा।” बता दें कि गृह मंत्रालय का नोटिफिकेशन गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ और दिल्ली भेजा गया है। केन्द्र सरकार का यह विशेष प्रावधान 2 साल तक वैलिड रहेगा। इस तरह सरकार देश में करीब 3 लाख लोगों को नागरिकता देने की योजना बना रही है।