लोकसभा में मंगलवार (30 जुलाई) को पास हुए नेशनल मेडिकल कमीशन बिल (एनएमसी) पर डॉक्टर्स का विरोध बुधवार (31 जुलाई) को देशभर में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत खराब कर सकता है। पहले ही मुसीबतों से जूझ रहे सरकारी अस्पतालों में जाने वाले मरीजों को बुधवार को दोहरे संकट से जूझना पड़ेगा। दरअसल इस बिल के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने हड़ताल का ऐलान कर दिया है। पीजीआई चंडीगढ़, दिल्ली सरकार के लोक नायक अस्पताल समेत देशभर के कई अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर हाथों में काली पट्टी बांधकर विरोध करते नजर आएंगे।

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ एम्स के प्रतिनिधियों ने सोमवार (29 जुलाई) को एक बैठक में बिल के मौजूदा मसौदे का विरोध करने का फैसला किया था। बता दें कि यह बिल देशभर में मेडिकल एजुकेशन पर नियंत्रण के लिए लाया गया है। डॉक्टरों के संगठनों ने इस बिल को अलोकतांत्रिक और नॉन फेडरल बताया। उनकी मांग है कि सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं पर भरोसा करने वाले देश के लोगों के हित में इस बिल के प्रावधानों में बदलाव किया जाना चाहिए।

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एसोसिएशन्स का कहना है कि यदि इस बिल में संशोधन नहीं किया गया तो सिर्फ मेडिकल एजुकेशन के स्तर में गिरावट होगी बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी बुरा असर पड़ेगा। बता दें कि इस बिल के प्रावधानों में सबसे महत्वपूर्ण बिंदु अंडरग्रैजुएट पाठ्यक्रमों के लिए नेशनल एग्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) के जरिये प्रवेश और विदेशों से ग्रैजुएशन करने वाले छात्रों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट की बात है।

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि कोई एक परीक्षा तीनों स्तर के कोर्सेस का फैसला कैसे कर सकती है? यदि इसमें कोई छात्र फेल हो जाता है तो उसके पास कोई विकल्प नहीं बचेगा। इस बिल के प्रावधानों में कई और महत्वपूर्ण प्रावधान भी हैं।