जिले की करीब 35 लाख आबादी को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने वाला बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय इन दिनों खुद बीमार है। यहां न तो पर्याप्त मात्रा में जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध हैं और नहीं विषेशज्ञ चिकित्सक। वहीं यहां के हड्डी रोग विभाग में पिछले एक पखवाड़े से ताला लगा हुआ है। अस्पताल में धन उपलब्ध होने के बावजूद दवा कंपनिायों को भुगतान नहीं करने के कारण दवाओं की आपूर्ति ठप है। इससे अस्पताल में मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है।
देवीपाटन मंडल मुख्यालय स्थित बाबू ईश्वर शरण जिला अस्पताल तराई का जीवन रेखा माना जाता है। यहां गोण्डा समेत बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती और पड़ोसी देश नेपाल तक के मरीज इलाज कराने आते हैं। लेकिन इस समय व्यवस्था पूरी तरह चैपट हो चुकी है। जिला अस्पताल में चार अस्थि रोग विशेषज्ञ थे। इनमें से योगी सरकार की सख्ती के बाद तीन ने नौकरी से त्याग-पत्र दे दिया।
सेवा में बचे एकमात्र शल्यक के लंबे अवकाश पर चले जाने के बाद विभाग में ताला लटक रहा है। सड़क दुर्घटना या मारपीट में घायल होने वाले मरीजों को निजी अस्पतालों का शरण लेना पड़ रहा है। दवाओं की उपलब्धता की स्थिति यह है कि वतर्मान में यहां जीवन रक्षक औषधियां भी अनुपलब्ध हैं। जबकि अस्पताल के भण्डार में 225 दवाएं रहती थीं किन्तु इन दिनों उनकी संख्या घटकर 100 रह गई है। अस्पताल में पैरासिटामाल, गैस की दवा, पेट दर्द की दवा, उल्टी की दवा, उच्च रक्तचाप की दवा इत्यादि तक की दवा मौजूद नहीं है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि अस्पताल में जरूरी दवाएं हैं नहीं और चिकित्सक डर के कारण बाहर की दवाएं लिख नहीं रहे हैं।
परिणामस्वरूप दूरदराज से आने वाले मरीजों को केवल जांच कराकर नीली-पीली गोली लेकर लौटना पड़ रहा है। अस्पताल में कुत्ता काटने के बाद लगने वाला रैबीज इंजेक्शन का भी अकाल है। करीब दस दिन से इस इंजेक्शन का भी स्टाक शून्य हो गया है। सामुदायिक या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी यह इंजेक्शन नहीं मिलने के कारण लोग जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं लेकिन यहां भी उनके हाथ निराशा ही लग रही है। सूत्र बताते हैं कि अप्रैल से अब तक चार दर्जन से अधिक आपूर्ति आदेश पर फर्मों ने सप्लाई नहीं की है। कंपनियां भुगतान फंसने के भी डर से आपूर्ति नहीं कर रही है। वह सप्लाई के लिए अलग आयोग बनने के शिगूफे के कारण आपूर्ति से बच रहीं हैं।
उधर अस्पताल में दवाओं की आपूर्ति करने वाली कंपनियों का चालू वित्तीय वर्ष में की गई आपूर्ति की अपेक्षा करीब 35 लाख रुपए बाकी है। जिला अस्पताल में करीब 10 लाख रुपए इस मद में भुगतान के लिए उपलब्ध भी है। किन्तु आरोप है कि लेन-देन तय नहीं हो पाने के कारण वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक द्वारा कंपनियों का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिससे उन्होंने दरों का अनुबंध होने के बावजूद आपूर्ति रोक दी है। जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजीत कुमार जायसवाल ने कहा कि आपूर्ति आदेश अब आॅन लाइन ही भेजा जाता है। आपूर्ति आदेश तब ही बन पाएगा, जब बजट इंटरनेट पर दिखे। हम इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। जल्द ही दवाओं की कमी दूर हो जाएगी। कंपनियों से संपर्क कर दवाएं मंगाई जा रही हैं।