गोवा अपने पर्यटन के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। अब क्योंकि वो एक अहम टूरिस्ट स्पॉट बन चुका है, वहां पर विकास होना भी जरूरी है। लेकिन क्या उस विकास को पर्यावरण को नजरअंदाज कर अंजाम दिया जाएगा? क्या बिना किसी प्लानिंग सिर्फ पैसा कमाने के लिए बड़े प्रोजेक्ट्स को अमलीजामा पहनाया जाएगा? यह सारे सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि गोवा में एक संदिग्ध खेल ने सभी को हैरान कर दिया है। दूसरे शब्दों में बोलें तो जो गोवा के ग्रीन जोन हैं, जहां खेती होती होगी, ऐसे कई इलाकों पर बस्ती बनाने की तैयारी चल रही है, कुछ जगहों पर बन भी चुकी है।

इससे भी बड़ी बात यह सामने आई है कि इस संदिग्ध खेल में नेता, मंत्री सब शामिल बताए जा रहे हैं। असल में गोवा की सरकार ने अपने एक नियम में ऐसा बदलाव कर रखा है जिसके दम पर काफी आसानी से ग्रीन जोन वाले इलाकों को बस्ती में तब्दील करने की हरी झंडी दी जा रही है। हमारे सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस ने इसी सिलसिले में एक गहन तफ्तीश की है जिसमें कई ऐसी बातें निकलर आई हैं जो डराती हैं, बिना प्लानिंग वाले विकास की ओर इशारा करती हैं।

गोवा के किस नियम का उठ रहा जबरदस्त फायदा?

सबसे पहले गोवा के उस नियम को समझने की कोशिश करते हैं जिस वजह से यह सारा विवाद खड़ा हुआ है। असल में पिछले साल मार्च में गोवा सरकार ने Goa Town and Country Planning (TCP) Act 1974 में एक संशोधन किया था। उस संशोधन के मुताबिक जिनके पास खुद का कोई प्लॉट है, या निजी प्लॉट है और उन्हें लगता है कि उसे गलत तरीके से ग्रीन जोन में डाल दिया गया है, उस स्थिति में वे जरूरी डिपार्टमेंट में जाकर उस एरर को ठीक करवा सकते हैं। यहां पर एरर का मतलब है कि अगर Goa’s Regional Plan 2021 में कोई चूक हो गई हो तो उसे सुधारा जा सकता है। अब बड़ी बात यह है कि इस पूरे नियम में सार्वजनिक परामर्श की कोई जरूरत नहीं है।

जम्मू-कश्मीर चुनाव की हर डिटेल

अब सारा संदिग्ध खेल इस बात को लेकर है कि कई ग्रीन जोन को इसी तरह से बस्तियों में तब्दील करने की कोशिश हुई है। सार्वजनिक परामर्श हुआ नहीं, बस क्योंकि पद बड़ा है, संपर्क ऊपर तक हैं, ऐसे में आसानी से ग्रीन जोन वाले कई इलाकों को एरर बताकर बस्ती में बदलने की कवायद दिखी है। अब इस खेल को इतना बड़ा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि इसमें गोवा सरकार में मंत्री, बीजेपी के नेता, कांग्रेस के नेता, कुछ अभिनेता, सब शामिल बताए जा रहे हैं। यहां यह समझना जरूरी है कि इन सभी पर कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ है, लेकिन सवाल उठे हैं जिनको लेकर इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी जांच भी की है।

उस जांच का सबसे बड़ा आधार TCP डिपार्टमेंट के वो रिकॉर्ड हैं जिनसे पता चलता है कि कम से कम 20 लाख स्क्वार मीटर वाली ग्रीन जोन जमीन को बस्ती बनाने की हरी झंडी दी गई। दिखाया ऐसे गया है कि पहले गलती हुई थी, उसमें सुधार करने के लिए उन इलाकों को ग्रीन जोन से बाहर किया गया। अब इसी जांच का दूसरा पहलू यह है कि किन लोगों को, संस्थानों को इस बदलाव का फायदा हुआ है। आखिर किनके कहने पर इस तरह से ग्रीन जोन को बस्ती में बदलने की कवायद हुई।

मंत्री विश्वाजित राणे की कंपनी Karapur Estates Private Ltd

अब इसे सिर्फ एक कंपनी समझकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। असल में इस कंपनी के दो डायरेक्टर हैं- पहले टीसीपी मंत्री विश्वाजित राणे और दूसरी उनकी पत्नी देविया राणे। अब जब रिकॉर्ड खंगाले तो पता चला कि इनकी कंपनी सरवोना गांव में 11,580 स्क्वार जमीन को ग्रीन जोन से बाहर निकालने की अपील की थी। 2021 के रीजनल प्लान में तो उस इलाके को लेकर कहा गया था कि वहां आंशिक रूप से धान की खेती होती है। लेकिन खेल वही रहा- उसे एक गलती बताया गया और फिर करेक्शन।

सूरत के गणेश पंडाल में पथराव के बाद बवाल

इसी तरह इस कंपनी ने करापुर में भी 515 स्क्वायर मीटर की एक जमीन को सेटलमेंट बनाने की बात की थी। वहां भी बोला गया कि करेक्शन की जरूरत है। हैरानी की बात यह है कि 15 दिसंबर, 2023 को ही यह दोनों अप्लीकेशन डिपार्टमेंट को मिली थीं। फिर इस साल फरवरी तक उन दो अप्लीकेशन के आधार पर जरूरी करेक्शन कर दिया गया। इस बारे में जब मंत्री विश्वाजित राणे से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो मेन प्रॉपर्टी तो उसे 25 साल पहले ही कंवर्ट कर दिया गया था। लेकिन फिर भी मुद्दा वही है, सबकुछ कानून के हिसाब से और कानून के दायरे में रहकर किया गया है।

लेकिन जब सवाल आता है कि गोवा के लिए ग्रीन जोन भी तो जरूरी है, पर्यावरण को संरक्षण हो सके, इस बात का भी तो ध्यान रखा जाना चाहिए। इस तर्क पर भी राणे ने इंडियन एक्सप्रेस को जवाब दिया है। वे कहते हैं कि एक मंत्री रूप में मेरी जिम्मेदारी बनती है कि सबकुछ नियमों के हिसाब से हो। कोई भी नियम नहीं तोड़ा गया है। मेरे मंत्री बनने से पहले भी सेक्शन 16बी के तहत इस डिपार्टमेंट के पास 7500 आवेदन आए थे, उनमें भी जोन बदलने की मांग हो रही थी। तब 1000 आवेदन को स्वीकार कर जरूरी बदलाव किए गए थे। आपको समझना पड़ेगा कि लोग गोवा में निवेश करना चाहते हैं। हम उन्हें यहां आने से रोक नहीं सकते हैं। पूरा प्लान तो यही है कि विकास को सही दिशा दी जाए, एक्सपर्ट्स से बात कर हर कदम उठाया जाए।

पर्यावरण मंत्री की कंपनी Tonia Estates and Resorts Pvt Ltd

गोवा के पर्यावरण मंत्री Aleixo Sequeira की एक 29 अगस्त, 2023 की अप्लीकेशन सामने आई है जिसमें उन्होंने भी Salcete’s Nuvem इलाके में 3817 स्क्वायर मीटर की प्रॉपर्टी को बस्ती में बदलने की मांग की थी। बड़ी बात यह है कि 2021 के रीजनल प्लान में इस जमीन को एक फलों का बाग बताया गया था, जहां कई पेड़ थे और विकास प्रोजेक्ट शुरू करने की कोई स्कोप नहीं। लेकिन इस साल जनवरी 11 को एक करेक्शन हुआ और यहां सेटलमेंट बनाने की मंजूरी मिल गई।

हैरानी की बात यह है कि 2023 में 29 मई को Tonia Estates and Resorts Pvt Ltd कंपनी से भी एक आवेदन आया था। तब कोलवा में एक जमीन के 1575 स्क्वायर मीटर वर्ग को सेटलमेंट में बदलने की मांग हुई थी। बड़ी बात यह रही कि इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर खुद पर्यावरण मंत्री Aleixo Sequeira रहे। इस बारे में जब पर्यावरण मंत्री से पूछा गया तो उनके पास भी एक जवाब तैयार था। वे कहते हैं कि जो असली रीजनल प्लान था, तब इन सभी इलाकों को बस्ती में ही काउंट किया गया था। लेकिन जो पिछला रीजनल प्लान सामने आया, उसमें गलती से उस इलाके को पेड़-फलों वाला बाग बता दिया गया। वो एक गलती थी जिसे सुधारा गया।

केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीपद नायक का नाम आया सामने

केंद्रीय विद्युत और नवीन-नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद नायक को लेकर भी एक दावा हुआ है। पता चला है कि उनकी तरफ से Panelim गांव में 14,225 स्क्वायर मीटर एक ऑर्चड जमीन को बस्ती में बदलने की मांग की गई थी। इस साल 15 फरवरी को उस बदलाव को मान भी लिया गया और इसे फिर करेक्शन का नाम दिया गया। लेकिन इस बारे में श्रीपद नायक से बात नहीं हो पाई, उनके बेटे ने इतना जरूर कहा कि उन्हें ऐसी किसी जमीन की अभी कोई जानकारी नहीं है।

कांग्रेस नेता Avertano Furtado ने भी उठाया लाभ

कांग्रेस नेता Avertano Furtado को लेकर सामने आया है कि उन्होंने भी Navelim में 8650 स्क्वायर मीटर जमीन को रेक्टिफाई करवाने का काम किया था। 22 मई, 2023 को उन्होंने एक अप्लीकेशन दी और उनका काम बन गया। अब इस बारे में जब से पूछा गया तो वे कहते हैं कि अगर ऐसी पैडी फील्ड्स को भी आप इस्तेमाल नहीं करोगे तो यह तो बंजर जमीन बन जाएंगी। मैंने तो यहां एक पेट्रोल पंप खड़ा करने का काम किया। जो भी कदम सरकार नियम के मुताबिक उठाती है, वो सही है।

अब इन लोगों के अलावा फिल्म एक्टर Konidela Ram Charan, डेंपो ग्रुप के चेयरमेन, Ralph de Sousa, बीजेपी विधायक प्रवीन अरलेकर का नाम भी सामने आया है। इन सभी लोगों को लेकर भी कहा गया है कि इन्होंने एक नियम का फायदा उठाकर इसी तरह से कई जमीनों को बस्तियों में बदलने का काम किया। अब यह जांच का विषय है कि असल में कितने मौकों पर नियमों की अनदेखी हुई है, आखिर कितनी बार किसी को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसी परमीशन दी गईं।

 Pavneet Singh Chadha और  Dheeraj Mishra की रिपोर्ट