राजस्थान के स्कूलों में भी बच्चियां सुरक्षित नहीं है उन्हें शिक्षा के मंदिर में भी यौन प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है। ऐसे स्कूलों में सरकारी के साथ ही निजी शिक्षण संस्थानों में नाबालिग बालिाकाओं को यौन शोषण का शिकार होना पड़ रहा है। प्रदेश में पांच साल में स्कूलों में ऐसी घटनाओं की बढ़ोतरी से अभिभावकों का चिंतित होना लाजिमी है। सरकार के स्तर पर स्कूलों में छात्राओं को सुरक्षित और भयमुक्त रखने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं और उन्हें अच्छा स्पर्श और खराब स्पर्श से जुड़े मसलों से भी अवगत कराया जा रहा है। इसके लिए स्कूली छात्राओं को जागरूक करने के लिए सामाजिक संगठनों की भी मदद ली जा रही है। लड़कियों के स्कूल जाते और आते समय होने वाली छेड़छाडड़ की घटनाओं पर तो अंकुश लग ही नहीं पा रहा है। इस दिशा में शिक्षा विभाग अब प्रशासन और पुलिस के सहयोग से काम करने पर विचार कर रहा है।
बच्चियों के लिए विद्यालय वह जगह है जहां वे घर के बाद सबसे ज्यादा समय बिताती है। प्रदेश में पिछले पांच साल में स्कूलों में छात्राओं के साथ दुष्कर्म या यौन प्रताडना से जुड़े मामलों में एकाएक बढ़ोतरी हुई है। राज्य पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के हिसाब से करीब डेढ सौ मामले अब तक दर्ज हो चुके हैं। इनमें भी ग्रामीण इलाकों में तेजी से खुले निजी विद्यालयों के मामले सबसे ज्यादा है। पिछले दिनों ही सीकर जिले के एक ग्रामीण निजी विद्यालय में तो शिक्षक ने ट्यूशन और अतिरिक्त कक्षा के बहाने 14 साल की किशोरी को बुलाकर उससे दुष्कर्म किया। इस घटना के बाद जब किशोरी ने स्कूल जाने से इनकार कर दिया तो अभिभावकों को चिंता हुई। उसने शिक्षकों की करतूत बताई तो मामला उजागर हुआ और दोषी शिक्षक के साथ उसका एक साथी भी गिरफतार हुआ।
राजधानी जयपुर में भी एक निजी स्कूल के शिक्षक का घिनौना चेहरा इसी साल फरवरी में सामने आया। स्कूल के शिक्षक रमीज को को पुलिस ने 5 से 15 साल तक के बच्चों के यौन शोषण के मामले में गिरफ्तार किया था। इस पर आरोप था कि स्कूल में पढ़ने वाले छोटे लड़के और लड़कियों को टयूशन पढने के बहाने यह अपने घर पर ही बुलाता था। इस दौरान उनसे अश्लील हरकतें कर उनकी विडियो क्लिप बनाया करता था। इसके साथ ही बच्चों को इसकी जानकारी किसी को नहीं देने के लिए भी धमकाता था। इस शिक्षक की एक विडियो क्लिप वायरल हो गई तब उसकी हरकतें समाज के सामने उजागर हुई। इस मामले में एक अभिभावक ने पुलिस में मामला दर्ज कराया तो पडताल में सामने आया कि उसने ऐसी हरकत तो कई बच्चों के साथ की है। पुलिस ने उसे 9 फरवरी को गिरफ्तार किया था। पाली जिले के सोजत के एक आवासीय विद्यालय की कुछ लड़कियों ने एक शिक्षक पर लगातार परेशान करने का आरोप लगाया था। इस शिक्षक पर भी लड़कियों के साथ अश्लील हरकतें करने का आरोप था। भी तक मामला जांच में ही चल रहा है।
राजस्थान में बाल अधिकार संरक्षण की दिशा में करने वाले संगठनों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों और पोक्सो एक्ट के तहत बने नियमों का ज्यादातर स्कूल पालन नहीं कर रहे हैं। इन संगठनों से जुड़े सुभाष बाफना का कहना है कि दिशा निर्देशों के तहत विद्यालयों में शिकायत पेटी लगाई जानी चाहिए। इसमें बच्चे अपने साथ प्रताड़ना से जुड़ी शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा स्कूलों में शिक्षक और अन्य कर्मचारियों के साथ ही उन्हें लाने ले जाने वाले वाहनों के ड्राइवर और कंडक्टरों का विद्यालय प्रशासन वेरिफिकेशन भी नहीं हो रहा है। स्कूलों में शिकायत पेटी के अभाव में भी बच्चों की शिकायतें नहीं आ पा रही हैं। हिम्मत जुटाने वाले बच्चे और उनके अभिभावक शिकायत करने की पहल कर रहे हैं। विद्यालयों में बच्चों और उनके अभिभावकों के साथ शिक्षकों की नियमित बैठकें नहीं होना भी एक कारण है। सरकार को सभी स्कूलों में हफ्ते में एक बार बुरो स्पर्श और अच्छे स्पर्श के बारे में जागरूकता की कक्षा लगाने का अभियान बड़े पैमाने पर चलाना चाहिए।