उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में निषाद समुदाय के कुछ लोगों के घरों पर पुलिस ने छापामार कार्रवाई की थी। इस दौरान कार्रवाई करने गई टीम पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप लगा। इस कार्रवाई के एक दिन बाद फिर से चकफरीद गांव के लोगों ने आरोप लगाया कि एक और टीम ने दलितों के घर में घुसकर जमकर हंगामा किया है। उल्लेखनीय है कि शनिवार को हेड कॉन्स्टेबल सुरेश प्रताप की मौत के बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की थी। निषाद पार्टी से जुड़े प्रदर्शनकारियों पर नियंत्रण की कोशिश में जुटी पुलिस पर भीड़ ने हमला कर दिया था। इसी हमले में सुरेश प्रताप वत्स की मौत हो गई थी। यह घटना चकफरीद गांव से महज एक किमी दूर हुई थी।

‘जबर्दस्ती मेरी भाभी के कमरे में घुसे’: वाराणसी रेंज के महानिरीक्षक विजय सिंह मीणा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस केस में 27 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। स्थानीय लोगों ने यह आरोप भी लगाया कि पुलिस ने महिलाओं को भी धमकी दी है। यहां के रहने वाले बिट्टू कुमार ने कहा, ‘रविवार की शाम करीब 8 बजे पुलिस के जवान छह गाड़ियां लेकर वहां पहुंचे। इसके बाद पहले उन्होंने निषाद बस्ती में बवाल किया। मैंने खाना खाने के बाद सोने जा रहा था तभी मुझे बाहर के हंगामे का पता चला। मैं छत पर जाकर छिप गया। कुछ ही मिनट बाद बहुत सारे पुलिस वाले मेरे घर में घुसे और मेरी मां से घर के पुरुष सदस्यों के बारे में पूछने लगे। इस दौरान वो जबर्दस्ती मेरी भाभी के कमरे में भी घुसे थे।’

पुलिस ने खारिज किए आरोपः कुछ गांव वालों के मुताबिक पुलिस के अत्याचारों के डर से कई दलित घर छोड़कर भाग गए। वहीं वाराणसी रेंड के आईजी ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि दरवाजे तोड़ने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की शिकायतों की वे जांच करवाएंगे। उन्होंने ऐसे लोगों को गिरफ्तार करने की बात को भी खारिज किया जो शनिवार को हुई घटना में शामिल नहीं थे।