उत्तर प्रदेश पुलिस पर वसूली करने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन गुरुवार को इस पर मुहर भी लग गई। दरअसल गुरुवार को नोएडा पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के दो सिपाहियों का वसूली के पैसों को लेकर झगड़ा हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि किसी ने वसूली की पूरी लिस्ट सोशल मीडिया पर अपलोड कर दी, जो कि डीजीपी तक पहुंच गई। इस पर डीजीपी ने गौतमबुद्धनगर जिले की 16 सदस्यीय स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की टीम को भंग कर दिया और आरोपी सिपाहियों समेत एसओजी के प्रभारी इंस्पेक्टर को भी बर्खास्त कर दिया गया है।
क्या है मामलाः खबर के अनुसार, पुलिस को उगाही में 3.41 लाख रुपए मिले थे, जबकि उसका खर्च 4.01 लाख रुपए रहा। इसी बात को लेकर एसओजी के दो सिपाहियों का झगड़ा हो गया। इस दौरान दोनों सिपाहियों में जमकर लात-घूंसे चले। इसके बाद नितिन नाम के एक ट्विटर अकाउंट से पुलिस द्वारा की जाने वाली वसूली की रेट लिस्ट सोशल मीडिया पर डाल दी गई। इस लिस्ट के अनुसार, होटल, सीमेंट फैक्ट्री आदि से पुलिस द्वारा वसूली की गई थी। लिस्ट में विभिन्न बिजनेस से वसूली के रेट का भी जिक्र था। इस लिस्ट के अनुसार, इंस्पेक्टर को 90 हजार रुपए देने और एसपीआरए मैडम को 25000 रुपए मिलते हैं।
उल्लेखनीय है कि इस लिस्ट में जिन-जिन अधिकारियों के नंबर लिखे गए हैं, उनमें से कई के फोन नंबर सही पाए गए हैं। इस लिस्ट में शामिल लोगों ने भी माना कि वह हर माह पुलिस को 5000 रुपए वसूली के तौर पर देते हैं। इस लिस्ट में एसपी रुरल का भी नाम है। हालांकि एसपी रुरल सुनीति का कहना है कि एसओजी टीम उन्हें रिपोर्ट नहीं करती है, ऐसे में उनका नाम लिस्ट में होने पर वह अचंभित हैं। फिलहाल पुलिस ने इस मामले की अंतरिम जांच शुरु कर दी है और जल्द ही इसकी रिपोर्ट पेश की जाएगी।