अटल बिहारी वाजपेयी की अंत्योदय राशन योजना का लाभ गरीबों को नहीं मिल रहा है। यह योजना समाज के सबसे आखिरी पायदान पर गुजर- बसर करने वाले निरीह, निर्धन, बेसहारा परिवारों के लिए बनाई गई थी पर मौजूदा समय में आधे से ज्यादा लग्जरी गाड़ियों वाले करोड़पति इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। जिला आपूर्ति अधिकारी संजय कुमार ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2001 में अंत्योदय योजना काे आरंभ किया था। इस योजना का उद्देश्य ही समाज के सबसे निचले स्तर पर गुज- बसर करने वाले परिवारों को लाभ पहुंचाना है। दूरभाग्य है कि आज इस योजना में आधे से ज्यादा परिवार लाखों रुपए कमाने वाले हैं। इसके कारण योजना का असली लाभ गरीबों की जगह अमीरों को हो रहा है।
अंत्योदय योजना के आधार पर 2011 की आर्थिक जनगणना हुईं है। इसके तहत हर महीने 35 किलो राशन के अलावा प्रधानमंत्री आवास, उज्ज्वला योजना में निशुल्क गैस कनेक्शन, सिलेंडर, रेगुलेटर और चूल्हा, पांच लाख रुपए तक फ्री इलाज,कोरोना भत्ता आदि सभी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। इसमें नाम हटाने और जोड़ने का काम तहसील और ब्लाक कर्मियों का होता है पर दोनों कर्मी ग्राम प्रधानों के वोट-बैंक के मुताबिक काम करते हैं।
इसके कारण अंत्योदय योजना में अपात्रों की संख्या काफी हो गई है। उन्होंने बताया कि अमेठी जनपद में 70.378 अंत्योदय कार्ड धारक हैं। इस योजना पर भीम कोटेदार ने बताया कि अंत्योदय कार्ड धारकों में अपात्रों की संख्या है लेकिन इसमें कोटेदारों को नाम हटाने का अधिकार नहीं है। जबकि राजकुमार सिंह भीमी ने कहा कि वे समय-समय पर अपात्रों की सूची आपूर्ति अधिकारी को भेजते हैं। विभागीय कर्मचारी बताते हैं कि आपूर्ति विभाग में नाम हटाने और चढ़ाने का गोरखधंधा किसी से छिपा नहीं है। इसके लिए बिना पगार वाले अबैध कर्मचारी रखें गए हैं। वे नाम हटाने और जोड़ने के लिए मोटी रकम लेकर कार्य करते हैं।
