रिश्वत लेने के 19 साल पुराने एक मामले में गुजरात के राजकोट में जिला पंचायत के पूर्व सर्किल इंस्पेक्टर जयसुख भारद को तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई है। उन्होंने साल 2004 में 1000 रुपये की रिश्वत ली थी। एक स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में जयसुख भारद को तीन साल की सजा के साथ 8,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि भारद ने 2004 में एक जमीन को नॉन-एग्रीकल्चर जमीन के रूप में पॉजिटिव रिपोर्ट देने के लिए उनसे 1000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। इस मामले में दिलचस्प बात यह है कि ट्रायल के दौरान शिकायतकर्ता अपने बयान से पीछे हट गए, लेकिन फिर भी भारद को सजा सुनाई गई है।
इस मामले की सुनवाई विशेष अदालत के न्यायाधीश बी बी जादव कर रहे थे। खिमनिया की शिकायत के बाद, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एक जाल बिछाया और भारद को रिश्वत के साथ रंगे हाथों पकड़ा। ट्रायल के दौरान भारद ने अपने बचाव में कहा था कि शिकायतकर्ता ने जिला पंचायत के एक कर्मचारी से पैसे उधार लिए थे। उन्होंने दावा किया कि शिकायतकर्ता ने उन्हें कर्मचारी को लौटाने के लिए वो पैसे दिए थे। हालांकि, ट्रायल के दौरान खिमनिया ने भारद के दावे का बचाव भी किया था।
जिला प्रशासन की तरफ से वकील एसके वोरा ने कहा, “बिछाए गए जाल के दौरान, 12 पन्नों की एक पूछताछ तैयार की गई थी जिसमें न तो अभियुक्त और न ही शिकायतकर्ता ने यह उल्लेख किया कि स्वीकार की गई राशि किसी अन्य कर्मचारी को सौंपी जानी थी। इसके अलावा, भारद ने इस तथ्य का उस समय भी उल्लेख नहीं किया, जब नियमानुसार चार्जशीट दाखिल करते समय एक उच्च अधिकारी से अनुमति मांगी गई थी। आरोपी ने कोई गवाह पेश नहीं किया। इससे साबित हुआ कि उसने एक गठजोड़ किया था और सजा से बचने के लिए कहानी बनाई।”
वोरा ने अदालत से अभियोजन, पुलिस और अदालत का समय बर्बाद करने के लिए भारद के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का भी आग्रह किया। इसके बाद न्यायाधीश ने कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि रिटायर इंस्पेक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जाए।