प्रसार भारती की पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पाण्डे ने एक ट्वीट के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने शनिवार (15 अगस्त, 2020) शाम को एक ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘कवि का आशय है कि यदि आपदा के बीच आटा गीला हो भी जाए तो उसकी लपसी बनाई जा सकती है।’ उन्होंने ट्वीट के साथ एक अन्य ट्वीट भी शेयर किया, जिसमें एक यूजर ने 15 अगस्त पर पीएम मोदी के लद्दाख पर दिए भाषण का जिक्र करते हुए लिखा, ‘एक आपदा को एक महान उपलब्धि के रूप में चित्रित करने की क्षमता एक विलक्षण कौशल है। ये आदमी एक विशेषज्ञ है।’ यूजर ने ट्वीट में पीएम मोदी के भाषण का एक अंश भी शेयर किया है जिसमें कहा गया, ‘भारत क्या कर सकता है, विश्व ने ये लद्दाख में देखा है।’
दरअसल पीएम मोदी ने शनिवार को लालकिले की प्राचीर से अपने 86 मिनट के संबोधन में चीन का नाम लिए बगैर कहा कि संप्रभुता के सम्मान के लिए देश व उसके जवान क्या कर सकते हैं, यह दुनिया ने लद्दाख में हाल ही में देखा। उन्होंने कहा, ‘नियंत्रण रेखा (एलओसी) से लेकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक देश की संप्रभुता पर जिस किसी ने आंख उठाई है, देश ने, देश की सेना ने उसे उसी की भाषा में जवाब दिया है।’ मोदी ने कहा, ‘भारत की संप्रभुता का सम्मान हमारे लिए सर्वोच्च है। इस संकल्प के लिए हमारे वीर जवान क्या कर सकते हैं, देश क्या कर सकता है, ये लद्दाख में दुनिया ने देखा है।’
कवि का आशय है कि यदि आपदा के बीच आटा गीला हो भी जाए, तो उसकी लपसी बनाई जा सकती है। https://t.co/qvKMc5luIB
— Mrinal Pande (@MrinalPande1) August 15, 2020
मृणाल पाण्डे के ट्वीट से कथित तौर पर महसूस होता है कि उन्होंने लद्दाख में हुई हालिया घटना को पीएम द्वारा उपलब्धि बताने पर ऐतराज जताया है, चूंकि लद्दाख में भारत-चीन सीमा विवाद के दौरान दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प में भारतीय सेना के बीस जवान शहीद हो गए। रिपोर्ट के मुताबिक इसमें चीनी सैनिक भी हताहत हुए, हालांकि इसकी सटीक संख्या अनुमान नहीं है।
वरिष्ठ पत्रकार के ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स भी जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एक यूजर @Malgudiwala1 लिखते हैं, ‘इसका श्रेय मीडिया को जाता है जो साधारण मतदाताओं की सोच को नियंत्रित करता है। मीडिया जनता और सरकार के बीच पारदर्शिता का साधन है, जिसने सुशासन के लिए मतदान किया। मगर सच जानने के बावजूद मीडिया जनता की आंख, नाक होने के बजाय एक अलग तस्वीर खींच रहा है।’
राजेंद्र पुरोहित @Raju_barakar लिखते हैं, ‘लद्दाख में सिवाय हमारे सैनिकों की शहादत और हमारी सरजमीं पर कब्जे के अलावा नया क्या हो गया, जो तथाकथित प्रधान सेवक साहब ये फालतू की डींगें हांक रहे हैं। कभी कभी भ्रम आदमी को बौरा देता है, जिसके निदान के लिए चिकित्सीय परामर्श परमावश्यक है। कोई व्यवस्था?’
इसी तरह एक अन्य ट्विटर यूजर दिनेश शर्मा @DrDineshVerma7 लिखते हैं, ‘ये तो लपसी भी नही बना सकते। आटा गीला हो गया और घर में रोटी नहीं बनी तो ये घर वालो को बोलेंगे की संकल्प लो 2030 तक हर हाथ मे पराठा होगा और हम एक दूसरे को ठंडा पानी पिलाएंगे। लगे हाथ अखबार में फोटू दे देंगे कि इस दुख की घड़ी में वो सारी सोसाइटी को पूरियां बनाने में मदद करेंगे।’ सुरेंद्र @Singh1972S लिखते हैं, ‘अच्छा लगा कि आपको लपसी की जानकारी है।’