पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी के विरोध में सेना के एक पूर्व जवान ने कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जवान ने कहा है कि ममता बनर्जी के द्वारा की गई टिप्पणियों से भारतीय सेना का अपमान हुआ है और इससे उसे ठेस पहुंची है।
इस मामले को हाईकोर्ट के जस्टिस तीर्थंकर घोष के सामने रखा गया। मामले में सोमवार को सुनवाई होगी। कोलकाता पुलिस ने 8 सितंबर को दिए जाने वाले इस धरने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
सेना के दुरुपयोग का लगाया था आरोप
इससे पहले ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला था कि कहा था कि वह उनकी पार्टी टीएमसी के मंच को हटाने के लिए भारतीय सेना का दुरुपयोग कर रही है।
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ममता बनर्जी ने कहा था, “बंगाली भाषा पर हमला हो रहा है। मुझे सेना से कोई शिकायत नहीं है। हमें उन पर गर्व है लेकिन अगर किसी राजनीतिक दल का मंच हटाने के लिए सेना का दुरुपयोग किया जाता है तो इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।”
टीएमसी प्रमुख ने कहा था कि इस मामले में पहले पुलिस से सलाह लेनी चाहिए थी क्योंकि कानून व्यवस्था का मामला पुलिस के अधीन है। उन्होंने कहा कि बीजेपी हमारे मंच को जबरन हटाने के लिए सरकारी बलों का दुरुपयोग कर रही है।
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सेना ने जारी किया था बयान
इसके बाद भारतीय सेना की ओर से बयान जारी किया गया था। सेना ने कहा था कि टीएमसी को सिर्फ दो दिन के लिए ही विरोध प्रदर्शन की इजाजत दी गई थी और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश में भी यही कहा गया था। सेना ने कहा था कि मैदानी क्षेत्र में स्थानीय सैन्य प्राधिकरण केवल दो दिन तक कार्यक्रम करने की अनुमति दे सकता है। यदि कार्यक्रम तीन दिन से अधिक चलता है तो रक्षा मंत्रालय से मंजूरी लेनी जरूरी होती है।
सेना ने कहा था कि इस बारे में कई बार बताए जाने के बावजूद वहां पर अस्थाई ढांचे को एक महीने तक बनाये रखा गया। इसके बाद सेना ने मजबूर होकर कोलकाता पुलिस को बताया और फिर इस ढांचे को हटाया।
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