Kerala News: केरल युवा उत्सव (Kerala Youth Festival) के 61वें संस्करण में ब्राह्मणवादी प्रभुत्व के आरोपों के साथ केरल सरकार (Kerala Government)ने खाने की राजनीति की। इसके बाद सरकार ने गुरुवार (5 जनवरी) को ऐलान किया कि अगले साल होने वाले केरल युवा उत्सव के 62वें संस्करण के लिए मांसाहारी भोजन (Nov-Veg Food) भी मेन्यू में मौजूद रहेगा। केरल के सांस्कृतिक कैलेंडर में इस तरह के आयोजन को सबसे बड़े आयोजनों के रूप में माना जाता है। आपको बता दें कि ये आयोजन कोविड संक्रमण (COVID-19 Infection) की वजह से दो साल के बाद आयोजित किया जा रहा है। इस आयोजन में 239 कैटेगिरीज में कंप्टीशन करने वाले जिलों के 10,000 से अधिक प्रतिभागी मंच और मंच के बाहर मौजूद हैं।
16 सालों से एक ही व्यक्ति को मिल रहा है Tender
ब्राह्मणवादी वर्चस्व पर तर्क कैटरर पझायिदोम मोहनन नंबूदरी पर फोकस करने पर पता चला कि पिछले 16 सालों से त्योहार का खाना बनाने का ठेका उसी को मिल रहा है। इस मामले को लेकर आलोचकों ने कहा कि कैटरर की जाति (ब्राह्मण) ने यह सुनिश्चित किया था कि केवल सख्त शाकाहारी भोजन परोसा जाए। बहस को और तेज करने वाली बात यह थी कि इस साल इस उत्सव की मेजबानी करने वाला शहर कोझिकोड अपने मांसाहारी व्यंजनों के लिए जाना जाता है। शिक्षा मंत्री और सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता वी शिवनकुट्टी ने कोझीकोडन बिरयानी के लिए अपनी पसंद का संकेत देते हुए कहा, “मेरा विचार बच्चों को बिरयानी देने का था।”
अगले साल त्योहार में Non-Veg भोजन भी रहेगा
शिवनकुट्टी ने गुरुवार को इस बात का ऐलान किया कि अगले साल से त्योहार में मांसाहारी भोजन उपलब्ध होगा, शिवनकुट्टी ने कहा, “यह विविधता का त्योहार है और शिक्षा विभाग इसे बढ़ावा देने के लिए कदम उठाएगा। वर्षों से इस त्योहार में केवल शाकाहारी व्यंजन ही परोसे जाते रहे हैं। यह बदलने जा रहा है और अगले साल से, मेज पर मांसाहारी भोजन होगा। उन्होंने कहा, “सरकार ने हमेशा स्वस्थ चर्चा को प्रोत्साहित किया। लेकिन राजनीतिक एजेंडे के साथ बहस में गुप्त उद्देश्य होते हैं।”
लेखक सुधेश राघवन Facebook Post में दी प्रतिक्रिया
इस मुद्दे को उठाने वालों में राज्य की कई जानी-मानी हस्तियां भी शामिल थीं। लेखक सुधेश राघवन ने एक फ़ेसबुक पोस्ट में कहा है कि पझायिदोम के खानपान को “उत्कृष्ट इसलिए देखा गया क्योंकि उन्हें एक ब्राह्मण के रूप में देखा जाता है।” राघवन ने कहा, “मीडिया भी उन्हें मनाता है क्योंकि वह एक ब्राह्मण हैं। प्रासंगिक सवाल यह है कि क्या उन्होंने खाना पकाने के साथ-साथ अपने जीवन में भी ब्राह्मणवाद को दूर किया था। अगर वह इससे बाहर आ गया है, तो वह स्वादिष्ट मांसाहारी खाना बना सकता है।’