चार दिनों से लगातार हो रही बारिश की वजह से नाथनगर इलाके के रंगी भवन की छत गिर गई और दो लोगों की मौत हो गई। नतीजतन दूसरी घटना मिलाकर बारिश के कहर ने अबतक आठ जनों की जिंदगी लील ली। भागलपुर के ज़िलाधीश ने पुरानी दीवारों या छत से बचकर रहने की अपील लोगों से की है। मूसलाधार बारिश की वजह से भागलपुर – पटना रूट की ट्रेनें क्युल- गया होकर पंडित दीनदयाल स्टेशन भेजी जा रही है। उधर नौगछिया रूट की ट्रेनें भी हाजीपुर होकर डायवर्ट की गई है। पटना और दानापुर के नजदीक बाढ़ का पानी रेलवे पटरियों तक पहुंच गया है।

बताते हैं कि रेशम बस्त्र संस्थान के जर्जर पड़े रंगी कारखाने की छत उस वक्त गिर पड़ी जब चार जनें बारिश से भींगने से बचने के लिए वहां खड़े होने गए थे। तभी अचानक धड़धड़ा कर छत गिर गई। नतीजतन सरदारपुर के रहने वाले मो. मुराद और चंपानगर के मो. अमरुल्ला की मौत मौके पर ही मलवे में दबने से हो गई। याकूब और शकील जख्मी हो गए। सूचना पाकर एसडीओ आशीष नारायण जेसीबी लेकर पहुंचे। और मलवे में दबे लोगों को निकाल घायलों को इलाज के लिए भेजा। और मृतकों के शव पोस्टमार्टम कराने जवाहरलाल नेहरू भागलपुर मेडिकल कालेज अस्पताल भेजा। पीड़ित परिवारों को आपदा के तहत चार लाख रुपया बतौर अनुदान देने की बात कही है।

गंगानदी का जलस्तर अभी ज्यों का त्यों बरकरार है। खतरे के निशान से 34 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। एनएच80 की सड़कें जगह-जगह कटाव की शिकार हो गई है। नवनिर्मित चंपा नाला पुल की करोड़ों रुपए लागत से बनी पहुंच पथ बारिश ने ध्वस्त कर दी है। कई जगह दरार के निशान बने है। इस पर डीएम ने आवाजाही बंद कर दी है। भागलपुर -कहलगांव एनएच80 सड़क पर बुरी तरह कटाव हो गया है। सड़क पर आरपार बाढ़ का पानी चल रहा है। आवागमन बंद है।

डीएम प्रणब कुमार के मुताबिक पंद्रह प्रखंड की 96 पंचायत के 263 ग़ांव की करीब ढाई लाख आवादी बुरी तरह प्रभावित है। ज़िले में तेरह राहत शिविर और 137 नावों का परिचालन किया जा रहा है। लेकिन शिविरों में रह रहे लोगों के सामने पशु चारे की भारी दिक्कत है। करीब पचास हजार मवेशी बाढ़ से प्रभवित है। बिहपुर के नरकटिया नन्हकार जमींदारी बांध पर तेजी से कटाव हो रहा है। हजारों आवादी सहमी है। बालू की बोरियां डाल बचाव किया जा रहा है। पानी के बेग में बोरियां ही बह गई। अकबरनगर का रिंग बांध तो टूट ही गया है। तेतरी की सड़क धंस गई है। नौगछिया अनुमंडल का इतवार को डीएम ने जायजा लिया। वहां का तकरीबन इलाका पानी में डूबा पड़ा है।

इधर कहलगांव एनटीपीसी का उत्पादन कोयले की कमी की वजह से बंद होने की कगार पर है। रोजाना 45 हजार मेट्रिक तन कोयले की खपत है। कोयला ईस्टर्न कोल फील्ड की राजमहल परियोजना से यहां आपूर्ति होती है। लेकिन वहां की ओपन खदान में बारिश का पानी जमाव की वजह से उत्खनन रोक दिया गया है। इतवार को एनटीपीसी की 201 मेगावाट यूनिट बंद की गई थी। और सोमवार को 500 मेगावाट की दूसरी यूनिट भी बंद कर दी गई है। एनटीपीसी के मुख्य महाप्रबंधक एस गौरीशंकर के मुताबिक कोयले का संकट गहराता जा रहा रहा है। 2340 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता के बजाए 1360 मेगावाट का ही उत्पादन हो रहा है। यही स्थिति रही तो उत्पादन और गिर जाएगा। मिलाजुलाकर हालत बदतर है। एनएच80 के कार्यपालक अभियंता कहते है जबतक बाढ़ का पानी कम नहीं होगा जब तक कुछ करने की हालत में नहीं है। सोमवार को भी बारिश लगातार हो रही है।