मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में एक मादा चीता मृत पाई गई है। अधिकारियों को आशंका है कि यह एक तेंदुए के साथ लड़ाई में मारी गई होगी। साल 2022 में अफ्रीका से कुनो में चीतों को लाए जाने के बाद से यह इस तरह की पहली घटना है। कुनो राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र निदेशक द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार, अधिकारियों को सोमवार शाम लगभग 6.30 बजे जंगल में मादा चीता मृत मिली थी।
कुनो में मृत मिली मादा चीता ज्वाला नाम की नामीबियाई चीता के चार उप-वयस्क शावकों में से एक थी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, “वह एक महीने पहले अपनी मां से और कुछ दिन पहले अपने भाई-बहनों से अलग हो गई थी। प्रारंभिक आकलन के अनुसार, मौत का कारण तेंदुए के साथ क्षेत्रीय संघर्ष बताया जा रहा है। पोस्टमार्टम से विस्तृत जानकारी मिल पाएगी।”
यह मादा चीता ज्वाला के उन बच्चों में शामिल थी, जिन्हें इस साल 21 फरवरी को उसकी मां के साथ जंगल में छोड़ा गया था। उसकी मौत ऐसे समय में हुई है जब संरक्षणकर्ता सात दशकों के बाद कुनो राष्ट्रीय उद्यान में पहली बार चीतों को फिर से लाए जाने के तीन साल पूरे होने की तैयारी कर रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि कुनो की कुल चीता आबादी स्थिर बनी हुई है। प्रोजेक्ट फील्ड डायरेक्टर उत्तम शर्मा ने बताया कि कुनो में अब 25 चीते हैं- नौ वयस्क (छह मादा और तीन नर) और 16 भारत में जन्मे चीते। सभी स्वस्थ हैं।
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कुनो में कितने तेंदुए?
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कुनो में तेंदुओं की संख्या काफी अधिक है। माना जाता है कि यहां 70-80 तेंदुए हैं, जो चीता आबादी की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है। तेंदुओं की अधिक संख्या के कारण चीतों के लिए उपलब्ध शिकार (खासकर चीतल) कम हो जाते हैं। इससे पार्क के इको सिस्टम पर दबाव बढ़ जाता है।
यह बात वन्यजीव अधिकारियों ने कुनो एक्शन प्लान बनाते समय ध्यान में रखी थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “मध्यप्रदेश में तेंदुआ और बाघ भी साथ रहते हैं, और हमें उम्मीद है कि चीते भी इन चुनौतियों के साथ तालमेल बैठा लेंगे। हमें पहले से ही अंदाजा था कि चीते और तेंदुए के बीच इलाके को लेकर झगड़े हो सकते हैं। ऐसे टकराव जंगल में स्वाभाविक हैं। चीतों को खुद ही जीना सीखना होगा और वही कौशल वे अपने बच्चों को भी सिखाएंगे।”
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