चीन और पाकिस्तान के खिलाफ तीन युद्ध लड़ चुके पूर्व सैनिक अरमीत सिंह ने कृषि बिलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन किया है। सेना में सूबेदार रहते रिटायर्ड हुए 85 वर्षीय सिंह ने 1962, 1965 और 1971 में दुश्मन देशों के खिलाफ युद्ध लड़ा था। सेना के चार पदकों से नवाजे जा चुके अमरजीत पंजाब में गुरदासपुर स्थित एक गांव में रहते हैं। किसान प्रदर्शन के चलते वो 14 दिसंबर से अपने घर पर नहीं हैं। वो चाहते हैं कि केंद्र सरकार किसानों की बात सुने। उन्होंने कहा- मैं तब तक घर नहीं लौटूंगा जब तक मोदी सरकार तीनों कृषि बिलों को निरस्त नहीं कर देती।

युद्ध नायक अमरजीत ने द टेलीग्राफ से कहा कि अगर इन कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो ये खेती और किसानों को खत्म कर देगा। वो कहते हैं- मेरे गांव नैनोकोट में 1200 मतदाता हैं। उनसे में 15 लोगों को किसान आंदोलन के समर्थन में भेजा गया है। हम में से 14 लोग 28 दिसंबर को वापस गांव लौट गए मगर लड़ाई जारी रखने के लिए 15 और लोग आएंगे। मतलब लोग वापस लौट रहे और दूसरे लोगों को आंदोलन स्थल पर भेजते हैं।

पंजाब में मोहाली जिला स्थित बलयाली ग्राम पंचायत के सरपंच और भारतीय किसान यूनियन (सिद्धपुर) के सदस्य कुलवंत सिंह ने इस पर जानकारी दी। उन्होंने कहा- मोहाली में सात गांव (कराला, जंगपुरा, बैरी, श्यौ, मटरान, शेखर माजरा और खानपुर बांगर) के करीब एक हजार किसान प्रदर्शन स्थल पर मौजूद हैं। ये ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भोजन, गद्दे, कंबल और कपड़ें साथ लाए।

उन्होंने कहा कि हर सप्ताह लोगों का एक नया ग्रुप खाना और अन्य सामग्री के साथ प्रदर्शन स्थल पर पहुंचेगा। इस दौरान जो धरना स्थल पर मौजूद हैं और वापस लौटना चाहते हैं, लौट सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह से महीनों तक इस आंदोलन को जारी रखने में मदद मिलेगी। बता दें कि किसान नवंबर की 26 तारीख से केंद्र के तीन कृषि बिलों का विरोध कर रहे हैं। अन्नदाताओं ने इन बिलों को व्यावसायिक हित का बताते हुए निरस्त करने की मांग की है। सरकार और किसान के बीच कई चरण में बातचीत हो चुकी है मगर बात नहीं बनी।